Ajab gajab: इस महात्मा के श्राप से 150 बाराती बने पत्थर, जाने गांव की अनोखी स्टोरी

Ajab gajab: स्टोरी एसी की पढ़ कर आपके भी अब रोंगटे खड़े होने वाले है।

 

Ajab gajab: दोस्तों आज तक हमने एसे कई अनसुनी कहानियाँ सुनी होगी लेकिन आज हम आपको एक ऐसे तपस्वी की कहानी ही नहीं बल्कि असली स्टोरी बताने जा रहे हैं जिसे पढ़ कर आप आश्चर्य चकित होने वाले है. तो आइये जानते है इस गाँव की कहानी।

Ajab gajab: दोस्तों ये कहानी छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के गांव बरतिया भाठा की है. ये कहानी आज की नहीं बल्कि सेंकड़ों साल पहले की बताई जा रही है. आइए जाने

छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले का एक गांव है बरतिया भाठा. कोई साढ़े आठ- नौ सौ लोगों की आबादी वाले इस गांव के बारे में जनश्रुति है कि यहां सैकड़ों साल पहले एक बारात में आए सारे बाराती पत्थर में तब्दील हो गए थे.

यहां दूर-दूर तक आदमकद पत्थर जमीन पर आड़े-तिरछे गड़े हुए नज़र आते हैं. अब इस बात में सच्चाई कितनी है यह तो नहीं कहा जा सकता लेकिन गांव का दृश्य हैरान करने वाला ज़रूर है.

बरतिया भाठा के बुज़ुर्ग जो घटना बताते हैं वो कुछ यूं है कि एक बार गांव से होकर राजा की बारात गुज़री, बाराती बड़ी संख्या में थे. साथ में हाथी – घोड़े, अन्य जानवर, ढोल-नगाड़े, बरछी-भाले आदि भी थे.

बारात गाजे-बाजे के साथ नागते-गाते गुज़र रही थी. बारात ने एक जगह रुककर रात्रि विश्राम किया. अगले दिन स्नान के बाद बारातियों ने अपनी देवी मां की पूजा की और एक जानवर की बली दे दी. बस यही बात उन पर भारी पड़ गई.

Ajab gajab: महात्मा ने दिया था श्राप

जनश्रुति के अनुसार बारात ने जहां बकरे की बलि दी, वहीं पास में एक तपस्वी की कुटिया थी. तपस्वी पूर्ण सात्विक जीवन जीते थे. कुटी के चहुंओर साफ़ -सफाई थी, जब तपस्वी ने कुटिया के पास रक्त-रंजित ज़मीन देखी तो वे क्रोधित हो गए और उन्होंने पूरी की पूरी बारात को तत्क्षण पत्थर बन जाने का श्राप दे दिया.

और देखते ही देखते सारे बाराती, जानवर यहां तक की वाद्य यंत्र और साथ का सारा सामान भी पत्थर में तब्दील हो गया. और गांव कहलाने लगा बरतिया भाठा बाद में इस बंजर जमीन पर गांव बस गया.

 

Also Read: UGC-NET, NET परीक्षाओं में आए घोटालों में कैबिनेट शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के इस्तीफे पर फसी गरारी?

 

Ajab gajab: पुरातत्वविद विभाग ने इसे कब्रिस्तान माना

इसलिए इस गांव का नाम ‘बरतिया भाटा’ पड़ गया.पुरातत्व विभाग ने इस जगह की जांच की थी. बताया गया कि ये महाश्म हैं और संभवतः ला कर गाड़े गए हैं, जिनके दो से तीन हजार साल पुराने होने की संभावना है. इस जगह को आदिवासियों का कब्रिस्तान भी माना गया.

जहां लोगों की स्मृति में ये पत्थर गाड़े गए और उनका सामान भी.यहां पास ही एक आदिवासी होस्टल है, जिसके निर्माण के समय कुछ पत्थरों को उखाड़ा गया. तब इनके नीचे से बरछी, भाले, तीर जैसे हथियार भी निकले.पुरातत्वविद भले इसे कब्रिस्तान माने लेकिन ये हथियार देखकर ग्रामीणों के मन में बारात के पत्थर बनने की धारणा पुष्ट ही हुई हैं.

दोस्तों आपका क्या कहना है इस स्टोरी को लेकर कमेन्ट करके जरूर बताए..

बने रहे आप हमारी वेबसाइट Esmachar के साथ. आपको हरियाणा ही नहीं बल्कि सभी महत्वपूर्ण सूचनाओं से हम रूबरू कराने के लिए सबसे पहले तयार है. चाहे खबर कोई भी हो. सरकारी योजनाए, क्राइम, Breaking news, viral news, खेतीबाड़ी, स्वास्थ्य.. सभी जानकारियों से जुड़े रहने के लिए हमारे whatsapp ग्रुप को जॉइन जरूर करें.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button