Haryana Contract Employee: उल्टा पड़ेगा सरकार का दांव?

Haryana Contract Employee: हरियाणा सरकार के इस अध्यादेश को कोर्ट में नहीं दे सकेंगे चुनौती

 

Haryana Contract Employee: राज्यपाल हरियाणा सरकार ने पत्र क्रमांक 14/2024 दिनांक 14.08.2924 को एक अध्यादेश के जरिए ठेके पर नियुक्त कर्मचारियों को कथित सुरक्षा प्रदान करने के लिए जो प्रावधान किए हैं वे सरकार के कथित प्रचार के विपरीत हैं कि एक लाख बीस हजार कच्चे कर्मचारी पक्के कर दिए हैं ; उन्हें सेवा सुरक्षा दी गई है और उनका वेतन भी बढ़ा दिया है। हकीकत इसके ठीक विपरीत है।

Haryana Contract Employee: अध्यादेश के नियम 1(a) के तहत नियुक्ति तिथि 15.08.2024 होगी। इसी आदेश के अन्तर्गत नियम 3(ii) के अनुसार वे कांट्रेक्चुअल इम्पलाइज इसमें आ सकेंगे जो 15.08.2024 को पूर्णकालिक आधार पर पाँच साल की सेवा पूरी कर चुके होंगे।

इसका अर्थ यह है कि हरियाणा कौशल रोजगार निगम बनने के बाद भर्ती हुआ एक भी कर्मचारी इसमें शामिल नहीं होगा। साथ ही यह अध्यादेश 15.08.2024 को पाँच वर्ष पूरे न करने वाले कर्मचारियों को भी शामिल नहीं करता है। वैसे तो अध्यादेश के जरिए नियम बनाना स्वतः ही सरकार की नीयत पर सवाल खड़े कर देता है लेकिन इसकी आड़ में जो हुआ है उससे सरकार की कथनी और करनी का फर्क सामने आ गया है।

इस अध्यादेश के प्रावधानों से स्पष्ट है कि केन्द्रीय परियोजनाओं में लगे कर्मचारी, मानदेय आधार पर लगे कर्मचारी और पार्ट टाइम कर्मचारी इसके अन्तर्गत लाभान्वित नहीं होंगे। इसके अतिरिक्त जिस पद पर काम कर रहे हैं उसका समान पद विभाग में ढूंढना भी अनेक दिक्कतें खड़ी करेगा।

मुख्यमंत्री ने इस योजना का प्रचार करते हुए था कि ऐसे कर्मचारियों को वार्षिक वेतनवृद्धि का लाभ भी दिया जाएगा, लेकिन नोटिफिकेशन में कहा गया है कि पहला वर्ष पूरा होने के बाद वेतन वृद्धि पर निर्णय लिया जाएगा।

इसके बारे में वेतन वृद्धि का दर नियम नहीं बनाया गया है। यह भी कहा गया है कि कोई भी सुधार विधानसभा से स्वीकृति के बाद किया जाना है। इसका मतलब है कि फिलहाल यह केवल चुनावी जुमला ही है। अध्यादेश की श्डयूल – 1 के अनुसार 10 वर्ष से अधिक सेवा वालों को 15%, 8 से 10 वर्ष की सेवा वालों को 10% तथा 5 से 8 वर्ष की सेवा वालों को 5% अतिरिक्त वेतन दिया जाएगा।

यह प्रावधान अतिथि/अनुबंध शिक्षकों पर लागू नहीं होगा। यद्यपि उनका वेतन न्यूनतम प्रवेश वेतन से आगे बढ़़ सकेगा।

यह प्रावधान किया गया है कि ऐसे कर्मचारियों को चिरायु योजना, 2020 के नियमानुसार ग्रेच्यूटी, मैटरनिटी लीव आदि लाभ दिए जाएंगे। (Haryana Contract Employee)

अध्यादेश को जारी करने से सम्बन्धित कर्मचारियों व अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा न चलाए जाने की व्यवस्था भी दी गई है। ऐसा लगता है कि सरकार को लगता है कि वह स्थापित नियमों के अनुसार व्यवहार नहीं कर रही है। देश का कोई कानून न्यायिक समीक्षा से परे नहीं हो सकता है।

ले ही सरकार दावा कर रही है कि उसने एक कलम से 1.20 लाख कर्मचारियों की सेवाएं नियमित कर दी हैं। दावा तथ्यात्मक रूप से गलत है।

कुल संख्या कच्चे कर्मचारियों के दस प्रतिशत से अधिक नहीं है। हकीकत में एक भी कर्मचारी की सेवा नियमित नहीं की गई है, बल्कि सारी उम्र कच्ची नौकरी और कम वेतन के साथ शोषण जारी रखने का प्रावधान किया गया है। ऐसा नियम भविष्य के लिए नियमित होने संभावनाओं के विपरीत है।

यदि भाजपा सरकार कर्मचारियों का भला करना चाहती तो दो साल की सेवा पूरी कर चुके कर्मचारियों के सेवाएं पूरे वेतन व अन्य लाभों के साथ नियमित की जाती। भविष्य के लिए भी यह नियम बनाया जाता। चिरायु या पीएमजेएवाई आदि का झांसा देने की बजाए 1000 ₹ चिकित्सा भत्ता व चिकित्सा खर्च के रि-इम्बर्समेंट के नियम सभी पर लागू किए जाते।

यह अध्यादेश एक छलावा है जो कच्चे कर्मचारियों के शोषण को जारी रखते हुए भी उन्हें फुसलाने के लिए लाया गया है। सरकारी संस्थानों में ठेका कर्मचारियों का बड़ा हिस्सा ठेकेदारों के तहत है, केन्द्र द्वारा संचालित स्कीमों में है।

समझ नहीं आता कि सरकार किसके वोट आकर्षित करना चाहती है। सेवा सुरक्षा का मतलब सीमित है – पक्का आने पर भी सेवा में बनाए रखना और ठेकेदार बदल जाने पर भी कर्मचारियों का बने रहना। यह सेवाएं नियमित होने तक चलता रहता है। सेवाएं नियमित करना ही वास्तविक सुरक्षा है।

जहाँ तक समान वेतन का सवाल है, उसे सरकार ने पद का न्यूनतम प्रवेश वेतन देने की बात की है। इसमें समानता है ही नहीं। कच्चे कर्मचारियों को नियमित कर्मचारियों के वेतनमान, हर साल वेतन वृद्धि और डीए सहित सभी भत्ते देना समानता है। सन् 2000 से पहले कच्चे कर्मचारियों को पक्के कर्मचारियों के समान वेतन-भत्ते मिलते रहे है।

सरकार के कुछ चहेते, बीएमएस और भाजपा के समर्थक मुख्यमंत्री की तथ्यहीन घोषणा और अध्यादेश के बारे में कर्मचारियों को गुमराह करने की असफल कोशिश कर रहे हैं। हरियाणा के कर्मचारी सच्चाई को जानते हैं तथा हमें सेवाएं नियमित करने और पक्के कर्मचारियों के समान वेतन-भत्तों से कम कुछ भी मंजूर नहीं है।

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