Phogat Famliy जो हरियाणा के बलाली गांव से ताल्लुक रखता है, भारतीय कुश्ती जगत में एक प्रतिष्ठित नाम बन चुका है।
Phogat Famliy: इस परिवार की कहानी न केवल भारतीय खेल जगत में एक प्रेरणा है, बल्कि यह समाज में लड़कियों के प्रति धारणाओं को बदलने का प्रतीक भी है। फोगाट परिवार ने अपने संघर्ष, दृढ़ संकल्प और अटूट साहस के साथ कई बाधाओं को पार करते हुए भारतीय महिला कुश्ती में क्रांति ला दी है।
Phogat Famliy इस प्रेरक कहानी की शुरुआत महावीर सिंह फोगाट से होती है, जो खुद एक प्रतिष्ठित पहलवान थे। महावीर सिंह ने अपने चारों बेटियों को कुश्ती सिखाने का फैसला किया, जो उस समय एक बेहद अनोखी और साहसी पहल थी। हरियाणा जैसे राज्य में, जहां पारंपरिक सोच लड़कियों को घर की चार दीवारों के अंदर सीमित रखने की थी, महावीर सिंह ने समाज की धारणाओं के खिलाफ जाकर अपनी बेटियों को कुश्ती के मैदान में उतारा। गीता फोगाट, महावीर सिंह की सबसे बड़ी बेटी, ने परिवार के इस साहसिक निर्णय को सही साबित करते हुए 2010 के कॉमनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया। वह न केवल कॉमनवेल्थ में गोल्ड मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान बनीं, बल्कि 2012 में ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने वाली पहली महिला पहलवान भी बनीं। गीता की इस सफलता ने भारतीय कुश्ती में महिला पहलवानों के लिए नए रास्ते खोल दिए और उन्हें प्रेरित किया। बबीता फोगाट, जो गीता की छोटी बहन हैं, ने भी कुश्ती में महत्वपूर्ण योगदान दिया। बबीता ने भी कॉमनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण और रजत पदक जीते और अपने परिवार की इस महान परंपरा को आगे बढ़ाया। उन्होंने अपनी मेहनत और समर्पण से खुद को भारतीय कुश्ती की दुनिया में स्थापित किया। इसके बाद, रितु और संगीता फोगाट ने भी कुश्ती के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई। रितु ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई प्रतियोगिताओं में जीत दर्ज की और बाद में मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स (MMA) में भी अपनी छाप छोड़ी। संगीता भी कुश्ती के क्षेत्र में अपनी बहनों के नक्शेकदम पर चलते हुए कई पदक जीत चुकी हैं। फोगाट परिवार की इस प्रेरक कहानी को और भी अधिक पहचान मिली जब 2016 में उनके जीवन पर आधारित फिल्म "दंगल" रिलीज़ हुई। इस फिल्म ने न केवल भारत में बल्कि दुनियाभर में फोगाट परिवार की संघर्षपूर्ण यात्रा को दर्शाया। "दंगल" ने यह दिखाया कि कैसे एक पिता ने अपनी बेटियों को समाज की सीमाओं से परे जाकर अपने सपनों को पूरा करने का हौसला दिया। इस फिल्म ने लोगों को सोचने पर मजबूर किया कि लड़कियां किसी भी क्षेत्र में लड़कों से कम नहीं होतीं, बस उन्हें अवसर और सही मार्गदर्शन की जरूरत होती है। Phogat Famliy आज भारतीय कुश्ती के इतिहास में एक आदर्श के रूप में जाना जाता है। इस परिवार ने न केवल खेल के क्षेत्र में अद्वितीय सफलता हासिल की है, बल्कि उन्होंने समाज में लड़कियों के प्रति धारणाओं को भी बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनकी कहानी यह संदेश देती है कि सही मार्गदर्शन, मेहनत, और साहस के साथ कोई भी सपना साकार किया जा सकता है।