Manju Hooda: गढ़ी सांपला-किलोई सीट पर भाजपा की नई उम्मीद…भूपेंद्र सिंह हुड्डा को टक्कर देने चुनाव मैदान में उतरी है

Manju Hooda: भूपेंद्र सिंह हुड्डा को चुनौती देने के लिए भाजपा ने मंजू हुड्डा को चुना, जिनका परिवार विवादों और संघर्षों से घिरा रहा है।

हरियाणा की राजनीति में रोहतक की गढ़ी सांपला-किलोई विधानसभा सीट इस बार चर्चा का केंद्र बनी हुई है। भाजपा ने यहां से मंजू हुड्डा को उम्मीदवार बनाया है, जो जिला परिषद की चेयरपर्सन रह चुकी हैं।

यह वही सीट है, जहां से हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा चुनाव लड़ते हैं। मंजू हुड्डा की उम्मीदवारी ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं, खासकर उनके पारिवारिक बैकग्राउंड को लेकर।

Manju Hooda: पुलिस अफसर की बेटी, गैंगस्टर के साथ जीवन

मंजू हुड्डा के पिता प्रदीप यादव हरियाणा पुलिस में ASI के पद पर तैनात थे। मंजू के अनुसार, उनके पिता की SI पद पर पदोन्नति हो चुकी थी, लेकिन इससे पहले उनका देहांत हो गया। पुलिस अधिकारी की बेटी होने के बावजूद, मंजू का जीवन विवादों से दूर नहीं रहा।

उनके पति, राजेश हुड्डा उर्फ राजेश सरकारी, एक समय पर गैंगस्टर रहे हैं। 14 साल की उम्र में राजेश ने हत्या का अपराध किया था और इसके चलते उन्हें 20 साल की सजा हुई थी। मंजू हुड्डा के अनुसार, उनके पति अब सामान्य जीवन जी रहे हैं, लेकिन यह तथ्य उनकी राजनीतिक यात्रा पर छाया बनकर मंडराता है।

भाजपा की रणनीति और मंजू हुड्डा की भूमिका

भाजपा ने Manju Hooda को इस सीट पर उतारकर एक साहसी कदम उठाया है। गढ़ी सांपला-किलोई सीट कांग्रेस के भूपेंद्र सिंह हुड्डा का गढ़ मानी जाती है, जहां से वे लगातार जीतते आए हैं। भाजपा को उम्मीद है कि मंजू हुड्डा का स्थानीय प्रभाव और उनकी पंचायत राजनीति में पकड़ इस कड़ी चुनौती को पार करने में मदद करेगी।

चुनौती या अवसर?

मंजू हुड्डा की उम्मीदवारी को लेकर कई राजनीतिक विश्लेषक इसे भाजपा के लिए चुनौती और अवसर दोनों मानते हैं। जहां एक ओर भूपेंद्र सिंह हुड्डा का राजनीतिक अनुभव और प्रभाव भारी पड़ सकता है, वहीं मंजू का स्थानीय स्तर पर जुड़ाव और महिला नेतृत्व उन्हें एक मजबूत उम्मीदवार बनाता है। उनके पति के विवादास्पद अतीत के बावजूद, भाजपा ने उनके नाम पर मुहर लगाई है, जो पार्टी की एक साहसी रणनीति के रूप में देखी जा रही है।

Manju Hooda के लिए यह चुनावी मुकाबला न सिर्फ राजनीतिक है, बल्कि उनके निजी और पारिवारिक जीवन की साख को भी दांव पर लगाता है। अब देखना होगा कि जनता उनके संघर्ष और सफाई को किस नजरिए से देखती है और क्या वह गढ़ी सांपला-किलोई की सीट से भूपेंद्र हुड्डा को मात दे पाती हैं या नहीं।

 

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