Bharat Bandh: आखिरकार आज ‘भारत बंद’ किसलिए? समझिए!

Bharat Bandh: सुप्रीम कोर्ट ने क्रिमिलेयर लागू करने का फैसला दिया हैं?

Bharat Bandh: नहीं, क्रिमिलेयर पर चीफ जस्टिस चन्द्रचुड की 7 सदस्यीय बैंच के कुछ सदस्यों ने क्रिमिलेयर पर ओपिनियन दी थी। वे ओपिनियन फैसले में शामिल नहीं थी।

 मोदी सरकार क्रिमिलेयर लागू कर रही है ?

नहीं, मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के सुझावों के बाद कैबिनेट मंत्रियों की बैठक कर *क्रिमिलेयर को लागू नहीं* करने का निर्णय लिया हैं।

Bharat Bandh: क्रिमिलेयर क्या हैं?

क्रिमिलेयर उन परिवारों को माना जाता है, जिनकी हर साल की आय 8 लाख हो और यह 3 साल तक लगातार हो। ऐसे को क्रिमिलेयर मानकर आरक्षण से अलग कर देते है। यह ओबीसी में लागू हैं। इससे IAS-RAS स्तर के अफसरों के बच्चों को आरक्षण मिलने के रास्ते बन्द हो जाते है।

क्या सुप्रीम कोर्ट ने कैटेगरी में कोटा बनाने का फैसला दिया है?

हां, सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को अधिकार दिया है कि वे चाहे तो कैटेगरी में कोटा कर सकती है। यह राज्यों के लिए स्वैच्छिक हैं।

Bharat Bandh: कैटेगरी में कोटा देने में मोदी सरकार की क्या भूमिका है?

मोदी कैबिनेट ने सुप्रीम कोर्ट के क्रिमिलेयर के सुझाव को रद्द कर दिया। पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा कैटेगरी के वर्गीकरण के राज्यों को दिये अधिकार के *फैसले* पर स्टडी करवाने के लिए विशेषज्ञों को दिया हैं।

 सुप्रीम कोर्ट में सबकोटा या वर्गीकरण का केस कैसे आया?

1975 में पंजाब की कांग्रेस की ज्ञानी जेल सिंह सरकार ने SC कैटेगरी में आधा सीटों का कोटा (First preference) मजहबी सिख व वाल्मिकि जातियो को देने का फैसला किया था, यह 2006 तक चला, जब पंजाब एवं हरियाणा कोर्ट ने रोक लगा दी। तब इसके विरोध में पंजाब में बहुत बड़ा आंदोलन हुआ। वाल्मीकि एवं मजहबी सिख को कोटा रखने के लिए कांग्रेस की अमरिंदर सिंह सरकार The Punjab Scheduled Castes and Backward Classes (Reservation in Services) Act, 2006 कानून लेकर आई। 2010 में चमार महासभा के देविन्दर सिंह के चुनौति देने पर हाइकोर्ट ने 50% कोटा देने की धारा 4(5) पर रोक लगा दी। 2010 में पंजाब सरकार सुप्रीम कोर्ट गई। फिर यह केस 5 जजो की बैंच से होता हुआ 7 जजो की बैंच में गया और फरवरी 2024 से इस देविन्दर सिंह बनाम पंजाब सरकार केस की सुनवाई शुरू हुई। इस तरह इस केस में 1 अगस्त को राज्य को वर्गीकरण की स्वतंत्रता देने का निर्णय आया। राज्य द्वारा कोटा दी जाने वाली जातियो की स्थिति की जांच कोर्ट भी कर सकती है।

हरियाणा में बीजेपी सरकार ने एससी में कोटा देने का फैसला किया है?

हां, हरियाणा की कैबिनेट ने यह निर्णय किया है। एससी के 20% आरक्षण में 16 वंचित जातियों को आधा कोटा (first preference) देने का प्रस्ताव हैं। पर हरियाणा में अभी आचार संहिता लग चूकी हैं। अध्यादेश जारी करने के लिए हरियाणा राज्य सरकार ने चुनाव आयोग से अनुमति मांगी है।

हरियाणा सरकार ने एससी में वर्गीकरण का कैसे फैसला किया?

हरियाणा राज्य के अनुसूचित जाति आयोग ने वर्गीकरण पर अपनी एक सर्वेक्षण रिपोर्ट राज्य सरकार को दी है। इसी के आधार पर यह फैसला किया गया।

यह सबकोटा या वर्गीकरण क्या है?

इसके तहत एक कैटेगरी में कम प्रतिनिधित्व वाली जातियों को कोटा तय किया जाता है। मान लिजिए एससी के 16 प्रतिशत आरक्षण में 4 प्रतिशत पिछड़ी एससी जातियों नायक, मोची, वाल्मिकि, धोबी, बलाई, चाण्डाल, नट आदि के लिए कर दिया जाये!

सब कोटा बनाने का आधार क्या है?

सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई व्यवस्था के अनुसार जातियों के प्रतिनिधित्व एवं स्थिति का सर्वेक्षण किया जाता है। सटीक आंकड़े होने पर ही उन जातियों को सबकोटा में लाभ दिया जाता है। (Bharat Bandh)

 सबकोटा की सीट नहीं भरी गई (NFS) गई, तो क्या वो सीट जनरल हो जायेगी?

नहीं, उसे एससी में कंवर्ट करके शेष एससी जातियों से भरी जायेगी। कोटा एक तरह से कुछ सीटों पर वंचित जातियों को first preference की तरह होता हैं। उनसे पद ना भरे जाने पर शेष एससी जातियों से भरे जाते हैं।

सबकोटा का उपयोग राज्य सरकारों ने राजनीतिक फायदे के लिए करके वोट-बैंक के लिए किसी भी जातियो को जोड़ दिया तो?

सुप्रीम कोर्ट के अनुसार सबकोटा में उन्हीं जातियो को जोड सकते है जो *सर्वेक्षण के आंकड़ो में एससी की वंचित जातियो* में है। कर्नाटक के ओबीसी वर्गीकरण को में बिना आंकड़ो के कुछ जातियो को अलग कोटा देने पर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार के फैसले पर रोक लगा दी थी। (Bharat Bandh)

 राजस्थान में इसका क्या प्रभाव पड़ना है?

राजस्थान में एससी-एसटी की जातियों का अलग-अलग मत हैं। राजसमंद-चित्तौड़गढ के भील समाज लंबे समय से एसटी में कोटे की मांग कर रहा था। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का स्वागत किया हैं। वहीं वाल्मीकि समाज की भी कुछ इसी तरह की प्रतिक्रिया रही हैं।

(Bharat Bandh) भारत बन्द का आह्वान किस संगठन ने किया?

SC कोर्ट के फैसले के बाद ही अचानक सोशल मीडिया में भारत बंद के पोस्टर और मैसेज आने लग गये, जिस पर आह्वान करने वालों का नाम नहीं था। फिर इसके लिए स्थानीय स्तर समितियां संघर्ष समितियां बनी ! अब क्रिमिलेयर के विरोध के मैसेज आ रहे है। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने क्रिमिलेयर का सिर्फ ओपिनियन दिया था और क्रिमिलेयर के उस ओपिनियन को केन्द्र सरकार ने रिजेक्ट कर दिया।

 एससी-एसटी की वंचित जातियों की क्या आपत्ति है?

उन जातियों का कहना है कि वे लंबे समय से इसकी मांग कर रहे थे। उन्होने कानूनी लडाइयां लड़ी हैं। जनसंख्या के अनुपात में प्रतिनिधित्व उनका हक हैं। उनका कहना है कि विरोध स्वरूप भारत बन्द का आह्वान करने से पहले उनसे सलाह-मशविरा भी नहीं किया।

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