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Big Breaking: सरपंच की बेटी ने बचाई 4 जिंदगियां:12 दिन से ब्रेन डेड थी, परिजन ने ऑर्गन डोनेट किए; फ्लाइट से जयपुर भेजा हार्ट, सड़क मार्ग से किडनी..!!

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Big Breaking: सरपंच की बेटी ने बचाई 4 जिंदगियां:12 दिन से ब्रेन डेड थी, परिजन ने ऑर्गन डोनेट किए; फ्लाइट से जयपुर भेजा हार्ट, सड़क मार्ग से किडनी..!!

Big Breaking: जोधपुर/ सरपंच की बेटी ने अपनी मौत के बाद 4 जिंदगियां बचाई। सड़क हादसे में ब्रेन डेड हो जाने के बाद रविवार को परिजन ने उसके अंगदान का निर्णय लिया।

  Big Breaking: जोधपुर एम्स से सुबह 11:10 बजे फ्लाइट के जरिए हार्ट जयपुर के SMS अस्पताल भेजा गया। एक किडनी को सड़क मार्ग से कार के जरिए भेजा गया, जो शाम को SMS अस्पताल पहुंची। हार्ट और किडनी को दो अलग-अलग मरीजों के ट्रांसप्लांट किया गया। दोनों ऑर्गन महिलाओं को लगाए गए हैं।   जोधपुर से फ्लाइट में लाया गया हार्ट 20 मिनट पहले ही SMS पहुंच गया था। जोधपुर से हार्ट निकलने से लेकर जयपुर में लगने तक 8 घंटे का समय लगा। वहीं जोधपुर में एक पेशेंट को किडनी और एक पेशेंट को लिवर लगाया गया है। बाड़मेर जिले के बायतु में चिमनजी की सरपंच कमला देवी (50) की बेटी 12 दिन से जोधपुर एम्स में एडमिट थी। जयपुर के SMS हॉस्पिटल में एक किडनी और हार्ट भेजा गया। किडनी को कॉरिडोर बनाकर सड़क मार्ग के जरिए सुबह 11:30 बजे रवाना किया था।   Big Breaking: 16 जुलाई को डंपर ने मारी थी टक्कर पिता भंवरलाल गोदारा ने बताया- मेरी बेटी अनीता (25) पत्नी ठाकराराम (25) 16 जुलाई को ससुराल सिणधरी पंचायत समिति मडावला गांव से पीहर चिमनजी पिकअप में बैठकर आ रही थी। साथ में उसका बेटा भरत (2) भी था। रास्ते में सामने से आए बजरी से भरे डंपर ने पिकअप को टक्कर मार दी। हादसे में अनीता और भरत घायल हो गए थे। उन्हें जोधपुर एम्स रेफर किया गया था। भरत का इलाज चल रहा है। जोधपुर एम्स के बाहर कॉरिडोर बनाया गया था। जहां से पहले जोधपुर एयरपोर्ट पर अनीता का हार्ट भेजा गया। Big Breaking: डॉक्टरों ने 2 दिन बाद ही बता दिया था ब्रेन डेड अनीता के काका ससुर बलराम चौधरी ने बताया- डॉक्टरों की टीम ने हमें 18 जुलाई को ही बता दिया था कि अनीता का ब्रेन डेड हो गया है। लेकिन, हमने उसके ठीक होने के लिए करीब 10 दिन तक इंतजार किया। अनीता का एपनिया टेस्ट भी करवाया गया। इसमें 10 तरह की जांच हुई थी। इसके बावजूद कोई इम्प्रूवमेंट नहीं था। डॉक्टर्स के अनुसार, एपनिया टेस्ट में शरीर में ऑक्सीजन के स्तर की जांच की जाती है। इससे यह मालूम करने का प्रयास किया जाता है कि ब्रेन डेड की स्थिति में पेशेंट की जिंदगी बचने के चांसेज कितने हैं। इसलिए हमने निर्णय लिया कि ऑर्गन डोनेट किए जाने चाहिए। हमें और लोगों की जागरूकता के लिए ऐसा करना चाहिए। अनीता के पिता ने बताया- हमने अंगदान से पहले उसके ससुराल पक्ष से इसकी सहमति ली। पति ठाकराराम सहित परिजन ने निर्णय किया कि भले ही अनीता अब इस दुनिया में नहीं है, लेकिन उसके अंग से किसी और की दुनिया रोशन हो, इसलिए डोनेट करने का निर्णय लिया।   Big Breaking: 4 जिंदगियां बचा गई अनीता एम्स डायरेक्टर गोवर्धन दत्त पुरी ने बताया- जब से अनीता और उनके बच्चे को लाया गया था, दोनों ही आईसीयू में एडमिट थे। जांच में अनीता का ब्रेन डेड पाया गया। हमने दो बार टेस्ट किया। इस पर परिजन को बताया और अंगदान की प्रक्रिया के बारे में भी समझाया। परिजन की सहमति मिलने के बाद हमने ऑर्गन ट्रांसप्लांट के रीजनल सेंटर से संपर्क किया। उन्हें ब्रेन की डिटेल भेजी गई। उन्होंने यह मैच किया कि अंग को कहां-कहां पर डोनेट किया जा सकता है। इसके बाद एक किडनी और लिवर जोधपुर के मरीज को लगाने का फैसला लिया। हार्ट और एक किडनी एसएमएस हॉस्पिटल, जयपुर भेजी गई।  
  • ऑर्गन डोनेशन से सोसाइटी में मैसेज जाएगा कि यदि किसी का ब्रेन डेड हो जाता है तो शरीर के अंगों के काम करना बंद कर देने से पहले अंगों को डोनेट किया जाए तो कई लोगों की जिंदगियां बचाई जा सकती हैं।
  • एम्स से सुबह 11:10 बजे हार्ट को SMS अस्पताल जयपुर भेजा गया। इसके लिए एसएमएस अस्पताल के डॉक्टरों की टीम को बुलाया गया था।
  • किडनी ट्रांसप्लांट में लगता है 2 घंटे का समय किडनी ट्रांसप्लांट एक्सपर्ट डॉक्टर एएस संधू ने बताया- किडनी ट्रांसप्लांट में दो से तीन घंटे का समय लगता है।
  • बता दें कि जोधपुर एम्स में फरवरी में भी ऑर्गन डोनेट हुए थे। तब ब्रेन डेड मरीज की किडनी ट्रांसप्लांट की गई थी।
  Big Breaking: जोधपुर एम्स से एयरपोर्ट तक बनाया कॉरिडोर अंग डोनेट करने के निर्णय के बाद एम्स चौकी इंचार्ज धनाराम के नेतृत्व में अस्पताल में पुलिसकर्मियों की टीम तैनात रही। एम्स के बाहर बासनी एसआई सुरेश कुमार के नेतृत्व में टीम ने कॉरिडोर बनाया, जहां से पुलिस की गाड़ियों के साथ हार्ट को एयरपोर्ट भेजा गया।   अनीता की शादी पांच साल पहले बाड़मेर जिले के सिणधरी पंचायत समिति कस्बे के निकट मडावला गांव निवासी ठाकराराम से हुई थी। ठाकराराम बिजनेस करते हैं।   Big Breaking: भारत में ऑर्गन डोनेशन को लेकर क्या है कानून ट्रांसप्लांटेशन ऑफ ह्यूमन ऑर्गन एंड टिशूज एक्ट वर्ष 1994 में पास हुआ था। यह कानून जीवन बचाने के लिए मानव अंगों के सर्जिकल रिमूवल, ट्रांसप्लांटेशन और उसके रख-रखाव के नियमों को सुनिश्चित करता है। साथ ही इस कानून में मानव अंगों की तस्करी रोकने के लिए भी कठोर प्रावधान हैं।   इस कानून के मुताबिक किसी व्यक्ति का ब्रेन स्टेम डेड होना मृत्यु का प्रमाण है। इसके बाद परिवार की सहमति से उसके शरीर के अंग और टिशूज डोनेट व ट्रांसप्लांट किए जा सकते हैं। इस प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए इस कानून से जुड़ी रेगुलेटरी और एडवाइजरी बॉडी है, जो पूरी प्रक्रिया की निगरानी करती है।   इस कानून के मुताबिक लिविंग ऑर्गन डोनेशन की स्थिति में डोनर डायरेक्ट ब्लड रिलेशन का ही हो सकता है। पैसे लेकर ऑगर्न की खरीद-फरोख्त पर रोक लगाने के लिए यह प्रावधान किया गया है।   Big Breaking: कैसे कर सकते हैं अंगदान दो तरीकों से अंगदान करते हैं। जीवित रहते हुए और मृत्यु के बाद। जीवित रहते हुए लिवर, किडनी जैसे अंग डोनेट किए जा सकते हैं, लेकिन रिसीवर आपके परिवार का नजदीकी व्यक्ति जैसे माता-पिता, पति-पत्नी, भाई-बहन या कोई डायरेक्ट रिलेटिव ही हो सकता है।   मृत्यु के बाद ऑर्गन डोनेशन के भी दो तरीके हैं। आप चाहें तो अपनी बॉडी किसी आधिकारिक मेडिकल संस्थान को दान कर सकते हैं। ऐसा न होने की स्थिति में मृत्यु के बाद उस व्यक्ति के करीबी लोग बॉडी डोनेट करने का फैसला ले सकते हैं।
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