Cm bhagwant maan shifting jalandhar: पंजाब सीएम मान के इस कदम से पंजाब को दूरगामी दुष्परिणाम!

भगवंत मान द्वारा अपनी रिहाइश जालंधर शिफ्ट

Cm bhagwant maan shifting jalandhar: मुख्यमंत्री भगवंत मान द्वारा अपनी रिहाइश जालंधर शिफ्ट करने के बाद डाली गई पोस्ट पंजाब का चंडीगढ़ के ऊपर दावा कमजोर कर सकती है सियाग

 

Cm bhagwant maan shifting jalandhar: अबोहर, 27 जून, खुइआं सरवर मंडल के प्रभारी वरिष्ठ भाजपा नेता एडवोकेट सुशील सियाग ने हाल ही में पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान द्वारा जालंधर उपचुनाव में पार्टी का प्रचार करने के लिए चंडीगढ़ से जालंधर अपनी रिहाइश शिफ्ट करने पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि मुख्यमंत्री के इस कदम से पंजाब को कभी दूरगामी दुष्परिणाम भुगतना पड सकता है।

 

Cm bhagwant maan shifting jalandhar: मुखमंत्री द्वारा सोशल मीडिया पर पोस्ट डाली गई 

कि,”आज परिवार के साथ जालंधर घर आया हूं… माझा और दोआबा के लोगों को अब चंडीगढ़ नहीं जाना पड़ेगा,मैं यहीं रहकर उनकी समस्याओं और मसलों का समाधान करूंगा।

हम लोगों को खजलखुआरी से बचाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं”।सियाग ने कहा कि हालांकि मुख्यमंत्री जिस उद्देश्य के लिए आएं है उसको छुपाकर उन्होंने जो सोशल मीडिया पर पोस्ट डाली वो ये आभास कराती है जैसे माझा और दोआबा के लोगों को चण्डीगढ़ जाने में बहुत ज्यादा दिक्कत होती थी और अब मुखमंत्री के जालंधर शिफ्ट होने से लगभग आधे पंजाब को जैसे राहत मिल गई हो।

 

सियाग ने कहा कि मुख्यमंत्री जी को शायद ये आभास ही नहीं होगा कि उनकी एक पोस्ट ने दशकों से राजधानी चंडीगढ़ के लिए संघर्ष कर रहे पंजाब के पक्ष को बड़ा झटका दिया है।

 

Cm bhagwant maan shifting jalandhar: सियाग ने आशंका जाहिर की कि मुख्यमंत्री का जालंधर शिफ्ट होकर ये स्टेटमेंट कभी कोर्ट के अंदर नजीर बन सकती है।

जब कभी चंडीगढ़ पर कानूनी मामला अदालत में गया तो विरोधी पक्ष भागवत मान की यह स्टेटमेंट नजीर के तौर पर पेश कर सकता है कि पंजाब को चंडीगढ़ को अपनी राजधानी बनाने की बजाए पंजाब के लोगों को पंजाब के और शहर भी बेहतर सुविधाजनक और बेहतर शूट करते हैं।उसके अंदर हमारा पक्ष कमजोर हो सकता है और मुख्यमंत्री का ये अपरिपक्व कदम पंजाब के लिए कभी घातक सिद्ध होगा।

 

सियाग ने कहा कि मुगलकाल से लेकर आज तक राजधानियों को शिफ्ट करने का कड़वा तजूर्बा इतिहास में दर्ज है जैसे तुग़लक़ ने अपनी दूसरी योजना के अन्तर्गत राजधानी को दिल्ली से देवगिरि स्थानान्तरित किया।

 

देवगिरि को “कुव्वतुल इस्लाम” भी कहा गया। सुल्तान कुतुबुद्दीन मुबारक ख़िलजी ने देवगिरि का नाम ‘कुतुबाबाद’ रखा था और मुहम्मद बिन तुग़लक़ ने इसका नाम बदलकर दौलताबाद कर दिया।

 

बादशाह अकबर ने 1572 से 1585 के बीच फ़तेहपुर सीकरी को अपनी राजधानी बनाया।अंग्रेजों ने 1911 में राजधानी को कलकत्ता (अब कोलकाता) से दिल्ली स्थानांतरित कर दिया, जबकि शिमला 1864-1939 के दौरान ग्रीष्मकालीन राजधानी थी. दिल्ली को औपचारिक रूप से 13 फरवरी, 1931 को राष्ट्रीय राजधानी के रूप में घोषित किया गया था।

 

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