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Election 2024: लोकसभा वेबसाइट पर आज भी बृजेन्द्र सिंह को दर्शाया जा रहा हिसार से भाजपा सांसद

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Election 2024: लोकसभा वेबसाइट पर आज भी बृजेन्द्र सिंह को दर्शाया जा रहा हिसार से भाजपा सांसद
Election 2024: एक सप्ताह पूर्व 10 मार्च को भाजपा की प्राथमिक सदस्यता और लोकसभा से त्यागपत्र देने बारे की थी घोषणा Election 2024: लोकसभा वेबसाइट पर आज भी बृजेन्द्र सिंह को दर्शाया जा रहा हिसार से भाजपा सांसद Election 2024   चार वर्ष पूर्व बृजेन्द्र के पिता बीरेंद्र सिंह का राज्यसभा से त्यागपत्र स्वीकार होने में लग गये थे 70 दिन   Election 2024, मई 2019 में मोजूदा 17 वीं लोकसभा आम चुनाव में हिसार संसदीय सीट से भाजपा के टिकट पर पहली बार लोकसभा सांसद निर्वाचित हुए चौधरी बृजेन्द्र सिंह, जो पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह डूमरखां के सुपुत्र हैं, ने आज से एक सप्ताह पूर्व 10 मार्च 2024 को सुबह 11 बजकर 33 मिनट पर उनके एक्स (ट्विटर) हैंडल पर पोस्ट (ट्वीट) किया कि उन्होंने राजनीतिक कारणों की विवशता से भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया है.   उसके कुछ समय बाद उन्होंने उसी दिन दोपहर 1 बजकर 49 मिनट पर एक अन्य पोस्ट कर लिखा कि उन्होंने लोकसभा सदस्यता से भी इस्तीफ़ा दे दिया है.   Election 2024, बहरहाल, 10 मार्च को ही बृजेन्द्र दिल्ली जाकर कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और हरियाणा कांग्रेस प्रभारी दीपक बाबरिया और अजय माकन और मुकुल वासनिक आदि वरिष्ठ नेताओं की उपस्थिति में कांग्रेस पार्टी में औपचारिक तौर पर शामिल हुए. खड़गे ने बृजेन्द्र को फूलों का गुलदस्ता देकर कांग्रेस पार्टी में स्वागत किया और वासनिक ने उन्हें पार्टी का पटका पहनाया.   Election 2024, बहरहाल, पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने बताया कि आज सप्ताह का समय बीत जाने के बाद भी लोकसभा की आधिकारिक वेबसाइट पर बृजेन्द्र सिंह को हिसार सीट से भाजपा सांसद दर्शाया जा रहा रहा है. इसी प्रकार गत एक सप्ताह में लोकसभा सचिवालय द्वारा बृजेन्द्र सिंह का मौजूदा 17वी लोकसभा से सांसद के तौर पर त्यागपत्र स्वीकार करने बारे कोई नोटिफिकेशन भारत सरकार के गजट में प्रकाशित नहीं हुई है.     Election 2024, इस सबके बीच अब प्रश्न यह उठता है कि क्या बृजेन्द्र ने वास्तव में हिसार सीट से उनका त्यागपत्र विधिवत रूप से और उपयुक्त फॉर्मेट में लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को सौंप दिया है अथवा नहीं और अगर सौंप दिया है,तो क्या उसे अब तक स्पीकर द्वारा स्वीकार किया गया है अथवा नहीं और अगर स्वीकार कर लिया गया है तो अब तक लोकसभा सचिवालय द्वारा भारत सरकार के गज़ट में इस संबंध में अधिसूचना प्रकाशित क्यों नहीं की गई है और साथ साथ लोकसभा वेबसाइट पर उन्हें आज भी बृजेन्द्र को हिसार सीट से भाजपा सांसद क्यों दर्शाया जा रहा है.   हेमंत ने एक और रोचक तथ्य सांझा करते हुए बताया कि आज से चार वर्ष पूर्व 20 जनवरी 2020 को बृजेन्द्र के पिता और हरियाणा से भाजपा के तत्कालीन राज्यसभा सांसद चौधरी बीरेंद्र सिंह का सदन की सदस्यता से त्यागपत्र भारत के तत्कालीन उपराष्ट्रपति, एम.वेंकैया नायडू, जो अपने पद के फलस्वरूप राज्यसभा के पदेन सभापति भी थे, द्वारा स्वीकार किया गया था हालांकि बीरेंद्र सिंह ने नवंबर, 2019 में ही यह बयान दिया था कि उनका त्यागपत्र राज्यसभा के सभापति द्वारा स्वीकार कर लिया गया.   इस असमंजस की स्थिति को स्पष्ट करने के उद्देश्य से एडवोकेट हेमंत कुमार ने 21 जनवरी 2020 को राज्यसभा सचिवालय में एक आर.टी.आई. याचिका दायर कर सूचना मांगी थी कि सचिवालय के आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार बीरेंद्र सिंह ने वास्तव में किस तारीख को राज्यसभा सदस्यता से उनका त्यागपत्र सौंपा एवं यह भी जानकारी मांगी गई कि वह तारीख वर्ष 2019 अथवा वर्ष 2020 की थी. उन्होंने इस के साथ उक्त त्यागपत्र की फोटोकॉपी भी मांगी.   Election 2024, राज्यसभा सचिवालय द्वारा प्रदान की गई एक पंक्ति की जानकारी में उल्लेखित रहा कि चौधरी बीरेंद्र सिंह ने उनके पत्र क्रमांक 11 नवंबर 2019 द्वारा राज्यसभा की सदस्यता से त्यागपत्र दिया था जिसका निर्धारित प्रक्रिया की अनुपालना करने के पश्चात राज्यसभा के सभापति ने 20 जनवरी 2020 से उसे स्वीकार कर लिया.   उक्त सूचना के साथ ही बीरेंद्र सिंह द्वारा दिए गए त्यागपत्र की प्रति भी प्रदान की गई जिस पर 11 नवंबर 2019 की तिथि अंकित थी. हालांकि हेमंत में बताया की जब उन्होंने उक्त त्यागपत्र की प्रति का गहन अध्ययन किया तो उन्होंने पाया कि उक्त त्यागपत्र राज्यसभा सचिवालय द्वारा निदेशक ( पटल) द्वारा एवं ओ.एस.डी. द्वारा 20 जनवरी 2020 को ही डायरी किया दिखाया गया है   जिससे यह प्रश्न उत्पन्न होता है कि अगर बीरेंद्र सिंह ने 11 नवंबर 2019 को उनका त्यागपत्र राज्यसभा सभापति के कार्यालय में सौंपा था, तो उसे डायरी करने में ही 70 दिन कैसे लग गए हालांकि यह बात और है कि डायरी होने के दिन ही वह स्वीकार हो गया. अब वह 70 दिन का लम्बा विलंब किस कारण हुआ, इसका जवाब आज तक रहस्यामयी है.      
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