Haryana Assembly Election 2024: किसान विधानसभा चुनाव में भी भाजपा और उसके सहयोगी दलों को सबक सिखाएँगे?

ऐलनाबाद , 01 सितम्बर (रमेशभार्गव )

Haryana Assembly Election 2024

Haryana Assembly Election 2024: भाजपा सरकार किसानों के हित में भले ही चाहे कितनी ही घोषणाएं करने का दावा करे पर वास्तविकता ये है कि प्रदेश और केंद्र की सरकार अभी तक किसानों का विश्वास नहीं जीत पाई है।

जो किसान आंदोलन दो साल पहले शुरू हुआ था वो आज भी जिंदा है, किसान उन्हीं मांगों पर अडिग है। अच्छा होता कि सरकार किसान प्रतिनिधिमंडल के साथ वार्ता कर कोई रास्ता निकालती जिससे किसान भी खुश होता और आंदोलन से जनता को भी परेशानी न उठानी पड़ती।

लोकसभा चुनाव में किसानों की नाराजगी का नुकसान भाजपा ने उठाकर देख लिया और विधानसभा चुनाव में भी हालात वैसे ही है। इस चुनाव में किसान भाजपा और उसके सहयोगी दलों को परेशान करेंगे इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता।

ऊपर से सांसद कंगना रनौत के बयान ने किसानों के जख्मों पर नमक छिड़कने का काम किया है, हालाकि भाजपा ने उनके बयान से किनारा कर लिया है, पर जो जख्म हुआ वो कहां जल्दी भरने वाला है। किसानों की भाजपा से नाराजगी का फायदा कांग्रेस और आम आदमी पार्टी उठाने से नहीं चूकेगी क्योंकि दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है।

दूसरी ओर फसल बीमा के नाम पर किसानों को आज भी ठगा जा रहा है, किसान इस मुद्दे को लेकर जल्द ही आंदोलन की घोषणा कर सकता है।

केंद्र और प्रदेश सरकार ने कुछ और फसलों को MSP पर खरीदने की घोषणा की है पर सरकार ने कभी धरातल पर जाकर देखा कि एमएसपी पर फसल बेचना कितना कठिन होता है।

कभी फसल में नमी का नाम लेकर खरीदने से इंकार, कभी सफल की गुणवत्ता पर उंगली उठाकर खरीदने से इंकार तो कभी खरीद एजेंसी ही नहीं आती ऐसे में कई दिन से मंडी में ठहरा किसान ओने पोने दाम पर फसल बेचकर चला जाता है, कभी कभी तो ऐसा होता कि फसल का लागत मूल्य तक नहीं निकलता पाता, कर्जा

लेकर फसल करने वाला किसान तो कर्ज में और डूब जाता है किसान के सारे सपने फसल को लेकर जिंदा रहते है, बच्चों का पालन पोषण, बच्चों की पढाई और उनकी शादी का सपना फसल पर ही निर्भर होता है.

अच्छी फसल का अच्छा दाम मिल जाए तो सपनें साकार हो जाते है वर्ना तो किसान फिर घूंट पीकर रह जाता है, फसलों की बरबादी उसे आत्महत्या के लिए मजबूर करती है, अगर खराब फसल का समय देश के अन्नदाता किसानों की नारागजगी भाजपा सरकार को पड़ेगी भारी

Haryana Assembly Election 2024: सांसद कंगना रनौत के बयान ने किसानों के जख्मों पर छिड़का नमक पर मुआवजा मिल जाए तो यही उसे जख्मों पर मरहम का काम करता है, सरकार का काम मरहम लगाना होना चाहिए न की जख्म देना।

कभी कभी सरकार और किसानों के बीच ब्यूरो क्रेसी आ जात है जिन्हें ये तक पता नहीं होता कि फसल कैसे पैदा की जाती है। मुआवजे में सबसे ज्यादा रोडा अधिकारी ही अटकाते हैं।

एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी, बैंक और कृषि विभाग का गठजोड़ भी किसानों के लिए सबसे ज्यादा परेशानी का सबब बनता है। इन तीनों की नाकामियां किसानों का चैन छीन लेती है।

प्रदेश में खरीफ 2023 के बीमा क्लेम में किसानों के साथ हुई ठगी हुई। बीमा प्रीमियम वापसी, बीमा क्लेम में धांधली, खरीफ 2020 का मुआवजा, नकली खाद, बीज, कीड़े मार दवाओं के नाम पर किसानों के साथ छल किया जाता है।

ऐसा नहीं है सरकार इन सबसे अंजान है सरकार जानकर जब अंजान बन जाती है तो किसानों को सबसे ज्यादा तकलीफ होती है। खरीफ-2023 में

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत बैंकों ने फसल का बीमा प्रीमियम 31 जुलाई को किसानों के खातों से काट लिया था, इस वर्ष नरमे की फसल में गुलाबी सुंडी का भयंकर आक्रमण हुआ, जिससे नरमे की फसल बर्बाद हो गई थी।

किसानों को उम्मीद थी की बीमा क्लेम मिलने से उनको थोड़ी बहुत राहत मिलेगी, लेकिन किसानों को बीमा क्लेम देने की बजाय 10-11 महीनों बाद उनकी बीमा प्रीमियम राशि वापस की जा रही है।

अकेले सिरसा जिले के लगभग 23000 किसानों की बीमा प्रीमियम राशि वापस की जा रही है, जिसमें 12000 किसान एसबीआई बैंक, 7000 किसान पीएनबी बैंक व बाकी 4000 सभी बैंकों के खातेदार किसानों का बीमा प्रीमियम वापस आ रहा है।

कई गांव ऐसे थे, जहां गुलाबी सुंडी से नरमे की फसल बिल्कुल नष्ट हो गई थी, लेकिन उन गांवों का बीमा क्लेम नहीं बनाया गया है। अगर देखा जाए तो भाजपा सरकार फसल बीमा योजना के नाम किसानों के साथ धोखा कर रही है।

किसानों को बीमे के नाम पर ठगा गया और खराब फसलों के मुआवजे के लिए आज भी किसान मारे मारे फिर रहे हैं, लेकिन उनको फसल खराब होने की राशि आज तक अदा नहीं की गई है।

भाजपा शासन में फसल बीमा के नाम पर किसानों से लूट खसोट करने वालों पर अगर सरकार ने कार्रवाई की होती तो किसानों को लगता कि भाजपा सरकार उनके साथ है।

आज किसान भाजपा से नाराज है, भाजपा के सहयोगी दलों से अच्छा खासा नाराज है, विधानसभा चुनाव में भाजपा और उसके सहयोगी दलों को किसानों की नाराजगी से नुकसान उठाना पड़ सकता है।

इस बात को भाजपा भी अच्छी तरह से जानती है, वह ये जानती है कि लोकसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदारों को गांवों में घुसने तक नहीं दिया था, इस बार भी ऐसा होगा इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता।

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