Haryana News: हरियाणा के दोनों म्युनिसिपल कानूनों में आज तक वार्ड पार्षद (कौंसलर) शब्द ही नहीं

Haryana News: 51 वर्ष पूर्व बनाया गया हरियाणा नगरपालिका कानून,1973 जबकि 30 वर्ष पूर्व बना हरियाणा नगर निगम कानून,1994

Haryana News: इलेक्शन सर्टिफिकेट, निर्वाचन नोटिफिकेशन और शपथग्रहण में भी किया जाता है सदस्य (मेंबर) शब्द का प्रयोग — एडवोकेट हेमंत

Haryana News:पंजाब, चंडीगढ़, दिल्ली, हिमाचल, राजस्थान सहित अन्य राज्यों के म्युनिसिपल कानून में कौंसलर शब्द मौजूद

चंडीगढ़ — हाल ही में हिसार में हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी द्वारा प्रदेश के नगर निकायों के निर्वाचित प्रतिनिधियों के लिए आयोजित एक बैठक/ सम्मलेन में उनकी वर्षों से लंबित मांगों को‌ पूरा करने के‌ कई

लुभावन घोषणाएं की गईं जिसमें उनको प्रदान किया जाने वाले मानदेय में वृद्धि करना भी शामिल हैं जिसकी वास्तविक बढ़ोतरी करने सम्बन्धी आधिकारिक आदेश आगामी सप्ताह तक किये जाने की सम्भावना है.

इसी बीच पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट और कानूनी विश्लेषक हेमंत कुमार (9416887788) ने एक रोचक परन्तु महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए बताया कि बेशक ऐसा पढ़ने और सुनने में आश्चर्यजनक प्रतीत हो परन्तु सत्य यही है कि हरियाणा में 90 के करीब नगर निकायों अर्थात नगर निगमों, नगर परिषदों और नगर पालिका समितियों में कोई भी वार्ड पार्षद, जिसे म्युनिसिपल कौंसलर (एम.सी.) भी कहते हैं, नहीं है.

हर नगर निकाय के आम चुनाव के बाद राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा प्रकाशित र्वाचन नोटिफिकेशन में वार्डों से निर्वाचित प्रतिनिधियों के लिए वार्ड पार्षद या म्युनिसिपल कौंसलर ( एम.सी.) की बजाय सदस्य (मेंबर) शब्द का प्रयोग किया जाता है जोकि हरियाणा के दोनों म्यूनिसिपल कानूनन के अनुसार बिलकुल सही भी है हालांकि यह अत्यंत आश्चर्यजनक है कि न केवल चुनाव जीते उम्मीदवारों एवं उनके समर्थकों आदि द्वारा बल्कि यहाँ तक कि आम जनता (लोगों) द्वारा उन्हें निर्वाचित वार्ड पार्षद या एमसी शब्द के तौर पर ही सम्बोधित किया जाता है जिससे निकाय क्षेत्र के मतदाताओं और स्थानीय निवासियों में यही आम धारणा बन गयी है कि उनके सम्बंधित वार्ड क्षेत्र से चुनाव जीतने वाला उम्मीदवार सम्बंधित नगर निकाय का पार्षद / कौंसलर (एमसी) ही है जोकि हालांकि कानूनन गलत है क्योंकि 51 वर्ष पूर्व बने

Haryana News: हरियाणा म्युनिसिपल (नगर पालिका ) कानून, 1973 , जो प्रदेश की सभी नगर पालिका समितियों और नगर परिषदों पर लागू होता है एवं हरियाणा म्युनिसिपल निर्वाचन नियमो, 1978 , जिसके आधार पर निर्वाचन आयोग द्वारा नगर निकाय में चुनाव करवाए जाते हैं, दोनों में कहीं भी पार्षद (कौंसलर) शब्द ही नहीं है. इसकी बजाए उपरोक्त 1973 कानून की धारा 2 (14 ए) में सदस्य (मेंबर) शब्द का प्रयोग किया गया है. ठीक इसी प्रकार हरियाणा नगर निगम कानून, 1994 की धारा 2 (24) में और‌ हरियाणा नगर निगम‌ निर्वाचन नियमो, 1994 में भी पार्षद (कौंसलर) के स्थान पर सदस्य (मेंबर) शब्द का ही प्रयोग किया गया है

हेमंत ने आगे बताया कि निकाय चुनावों में मतगणना के बाद वार्डों से विजयी रहे निर्वाचित प्रतिनिधियों को‌ जो निर्वाचन प्रमाण-पत्र (इलेक्शन सर्टिफिकेट ) सम्बंधित निकाय चुनावों के रिटर्निंग अफसर (निर्वाचन अधिकारी) द्वारा प्रदान किये जाते हैं, उसमें भी सदस्य, सम्बंधित नगर निगम/नगर परिषद/ नगर पालिका का ही उल्लेख था न कि पार्षद (कौंसलर) शब्द का.

इसी तरह राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा वार्डों‌ से विजयी उम्मीदवारों के‌ संबंध मे जारी निर्वाचन नोटिफिकेशन में और उस नोटिफिकेशन के जारी होने के 30 दिनों के भीतर नगर निकाय के सम्बंधित ज़िले के उपायुक्त (डीसी)

द्वारा या उसके द्वारा अधिकृत किसी गज़ेटेड अधिकारी द्वारा नगर निकायों वार्डो से निर्वाचित प्रतिनिधियों को पद और निष्ठा की शपथ भी संबंधित नगर निकाय सदस्य के तौर पर ही दिलवाई जाती है न कि सम्बंधित नगर निकाय पार्षद / कौंसलर के तौर पर.

हेमंत ने बताया कि बेशक देश के कई राज्यों जैसे पंजाब, चंडीगढ़, हिमाचल, उत्तर प्रदेश, राजस्थान आदि में स्थापित नगर निकायों के निर्वाचित सदस्यों द्वारा पार्षद ( कौंसलर) शब्द का प्रयोग किया जाता है, परन्तु वहां ऐसा करना कानूनन वैध है क्योंकि उन सभी प्रदेशो के सम्बंधित म्युनिसिपल कानूनों में पार्षद शब्द का उल्लेख किया गया है परन्तु हरियाणा के दोनों म्युनिसिपल कानूनों में यह शब्द नहीं है.

यहाँ तक कि भारत के संविधान में म्युनिसिपेलिटी से सम्बंधित भाग 9ए एवं अनुच्छेद 243 के खंडो में भी पार्षद (कौंसलर) शब्द का उल्लेख नहीं किया गया है. बहरहाल, विधानसभा मार्फ़त हरियाणा नगरपालिका कानून, 1973 और हरियाणा नगर निगम कानून, 1994 में उपयुक्त संशोधन कर मेम्बर (सदस्य) शब्द के स्थान पर कौंसलर शब्द डाला जा सकता है.

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