Haryana News: जनशिक्षा को बचाने के लिए 31 जुलाई को करनाल में प्रदर्शन करेंगे अध्यापक

Haryana News: हरियाणा सरकार की जनशिक्षा विरोधी नीतियो के विरोध में प्रदर्शन करेंगे हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ

 

Haryana News: हरियाणा सरकार की जनशिक्षा विरोधी नीतियो के विरोध में हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ संबद्ध सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा एवं स्कूल टीचर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया शिक्षा, शिक्षकों एवं छात्रों की समस्याओं को लेकर 31 जुलाई को मुख्यमंत्री आवास करनाल में रोष स्वरूप प्रदर्शन करेगा।

 

यह प्रदर्शन केंद्रीयकृत, अवैज्ञानिक तथा संविधान के मूल्यों को पोषित न करने वाली राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को वापस लेने, बंद किए गए 4801 स्कूलों को पुन: खोलने, पुरानी पेंशन बहाल करने, गरीबों को शिक्षा से वंचित करने वाली आत्मघाती चिराग योजना को वापस लेने, अस्थाई शिक्षकों को रेगुलर करने, सभी विद्यालयों में प्रत्येक विषय/कक्षा के लिए अध्यापक देने,

व्यवहारिक रैशनलाइजेशन करते हुए 8 वर्षों से प्रतीक्षारत जेबीटी शिक्षकों सहित सभी वर्गों के सामान्य तबादले करने, खाली पदों पर शीघ्र स्थाई भर्ती करने, मॉडल संस्कृति स्कूलों में भी शिक्षा अधिकार अधिनियम का पालन करने, मेवात मॉडल स्कूलों के शिक्षकों का पूर्ण रूप से शिक्षा विभाग में मर्जर करने, सेवा नियमों में आवश्यक संशोधन करने, हरियाणा कौशल रोजगार निगम को भंग करने, शिक्षकों के सभी लंबित मामले पदोन्नति, अनुसूचित जाति, पिछड़ा वर्ग व गरीबी रेखा से नीचे के छात्रों की प्रोत्साहन राशि जारी करवाने, सफाई कर्मियों की भर्ती करने, आश्रितों को मिलने वाले सम्मान भत्ते का आय सीमा से बाहर करने, एसीपी, मेडिकल प्रतिपूर्ति,बजट आदि मामले हल करने आदि मांगों तथा मांगपत्र की सभी मांगों को हल करवाने को लेकर किया जाएगा।

 

Haryana News: सभी शिक्षा प्रेमी, शिक्षकों एवं जनपक्षीय मुद्दों पर संघर्षरत साथियों/संगठनों/सेवानिवृत/अभिभावकों से अपील कि आमजन की शिक्षा को बचाने में सहयोग करने हेतु करनाल पहुंचकर अपनी आवाज बुलंद करें तथा संवेदनहीन सरकार को शिक्षा की समस्याओं को हल करने के लिए विवश करें

 

Haryana News: विदित हो कि इन मांगों को लेकर सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के साथ जिला स्तरीय रैलियों में भी उठाया जा रहा है।

अनेकों बार जिला/राज्य स्तरीय प्रदर्शन के माध्यम से ज्ञापन प्रेषित किए गए। 182 दिन यमुनानगर में क्रमिक अनशन किया, शिक्षा मंत्री, अतिरिक्त मुख्य सचिव एवं विभाग के निदेशकों से भी पत्राचार द्वारा द्विपक्षीय वार्ता से मामले हल करने की अपील लगातार प्रेषित कर रहे हैं।

लेकिन सरकार व विभाग संवेदनहीन बने बैठे हैं। जिस कारण विवश होकर बार बार शिक्षकों व कर्मचारियों को सड़कों पर उतरना पड़ता है।

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