Haryana News: एक दल विशेष के टिकट वितरण पर
Haryana News: भाजपा जो कभी जनसंघ थी तब श्यामा प्रसाद, दीनदयाल, बलराज, सिकंदर बख्त व नाना देशमुख आदि पार्टी को लकीर से हट कर चलाने का प्रयास कर रहे थे. वो जनसंघ जो की विकल्प तो नहीं थी तब स्वतंत्र पार्टी बड़ी पार्टी थी कम्युनिस्ट व सोसलिस्ट भी कायम थे लेकिन भाजपा के उन नेताओं ने प्रयास जारी रखा फिर अटल, अडवाणी, कृष्ण लाल, मनोहर जोशी आदि ने पार्टी में रहते हुए संघ से तालमेल रख पार्टी को आगे बढ़ाया। और उस मुकाम तक ले आए जो सीधे कांग्रेस का विकल्प बन गई। नतीजन वर्ष 2014 जब काँग्रेस सत्ता से हटी बागड़ोर भाजपा के हाथ लगी। उस समय भाजपा सत्ता हथियाने के लिए इतनी लालायित थी कि मूल्यों कि राजनीति अच्छा बुरा सीनियर जूनियर सब एक तरफ़ रख हर हाल में सत्ता काबिज़ होना पार्टी के तमाम छोटे बड़े नेताओं का प्रयास था हुआ वो ही अडवाणी जैसे अति वरिष्ठ नेता के स्थान पर मोदी जैसे जो केन्द्र कि राजनीति में सक्रिय नहीं थे उनके प्रबंधन व कई अन्य कारणों की वजह वो पार्टी नेतृत्व कि लड़ाई में एकाएक उभर कर सामने आ डटे। और अपने कुछ विशेषताओं के कारण सब को पछाड़ सत्ता परिवर्तन होते ही एक झटके में देश की सब से बड़ी कुर्सी पर जा बैठे। और साथ ही साथ भाजपा में भी 'कामराज प्लान' की भांति 'मार्गदर्शन दर्शन मण्डल' की घोषणा कर समय के साथ साथ उन सभी बड़े नेताओं को मार्गदर्शन मण्डल में डाल दिया।
Haryana News: ठीक एक्टर अजित के डायलॉग की तरह... लिक़विड ऑक्सीजन में ड़ाल दिया...
अब लिक्विड तुम्हे जिन्दा नहीं रहने देगा और ऑक्सीजन तुम्हे मरने नहीं देगी'? अटल सरकार एक वोट से वँचित सत्ता से बाहर हो गई थी उन्होंने साफ़ लफ़्ज़ों में दहाड़ कर कहा था ऐसी सत्ता को चिमटे से भी छूना पसन्द नहीं करेंगे और उस पर पूरी तरह कायम रहे। पर अब ऐसे युग की शुरुआत हुई ऐसा काल जो पिछले सभी समय से भिन्न है। यँहा ना कोई नीयत नीति, ना कोई विचार धारा, ना कोई दिन ईमान बस ताज़ा पकाओ और ताज़ा खाओ। सब अपना। इस के लिए सब कुछ स्वीकार्य। बांटों राज करो। प्रजातंत्र अब की परिभाषा में...अपनों द्वारा, अपनों का, अपने लिए भाजपा सब कुछ अपनाते हुए एक बात पर तो खरी उतरती है ये उस व्यक्ति का जब तक उसकी जरूरत है, वो काम का है, विधायक या सांसद है या कोई और जिस का लाभ मिल रहा हो उस के लाख खोट, कमी या जुर्म के बावजूद सभी अपराध भुला कर डट कर साथ देती है। उसका बाल बांका नहीं होने देती मगर ये भी सच है बाद में आम चूसने पश्चात गुठली की तरह फेंकने में भी देर नहीं लगाती! कितने उदाहरण हैं इस के राजकुमार सैनी, संदीप पेहवा, अन्ना, राम देव, स्मृति आदि आदि। लबोलुआब मोदी जी की तो एक सोच है सत्ता में रहना है उस के लिए सब जायज़ है। तंत्र, मंत्र, यंत्र, षड्यंत्र सब चलता है। राजनीति को इतने निचले स्तर पर ले जाया जा रहा है। जो न केवल निंदनीय है बल्कि सोचनीय भी है। अब क्या ज़िक्र करे भाजपा ने हरियाणा में जो टिकट दिए उन में कितने ऐसे महारथी है जिन को देख गिरगिट भी चुल्लू भर पानी में डूब मरे। नरबीर, ग्रोवर, अदलक्खा, बबली, टेकचंद, गौतम, अनूप अनेकों अनेक किस किस का जिक्र... अब दायित्व बनता है। हरियाणा की जनता का जो हर तरह से जागरूक कहलाती है जंहा जिस पावन धरा पर सदियों पहले गीता का संदेश दिया गया था वो हरियाणा जिसने हमेशा राजनीति को एक नई दिशा दी। अब देखना ये है कि ये हरियाणा इस प्रकार के तत्वों को सबक सिखला अपने अतीत के दाग़ को मिटा एक स्वच्छ राह दिखलाएगा?