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हिसार एयरपोर्ट: 'नो वाइल्डलाइफ' का सर्टिफिकेट निकला खोखला, नीलगायों से लेकर गीदड़ों तक की एंट्री!"

 There was a big lapse in security, a Nilgai entered the Hisar airport premises
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 "हिसार एयरपोर्ट: 'नो वाइल्डलाइफ' का सर्टिफिकेट निकला खोखला, नीलगायों से लेकर गीदड़ों तक की एंट्री!"
हिसार, 8 अप्रैल – हरियाणा के बहुप्रतीक्षित अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट की सुरक्षा व्यवस्था पर उस वक्त सवाल उठ गए जब हालिया रिपोर्ट में सामने आया कि एयरपोर्ट परिसर में 6 से 8 नीलगायों समेत कई वन्य जीवों की मौजूदगी है। ये वही एयरपोर्ट है, जिसके बारे में वन्यजीव विभाग ने 6 मार्च को स्पष्ट रूप से "नो वाइल्डलाइफ" सर्टिफिकेट जारी किया था।
अब जो रिपोर्ट सामने आई है, उसने विभागीय दावों की पोल खोल दी है। बाउंड्री वॉल के अंदर न केवल नीलगाय, बल्कि जंगली सुअर, कुत्ते, लोमड़ी और गीदड़ भी देखे गए हैं। बाउंड्री वॉल के नीचे करीब 200 मीटर तक खुले स्थान पाए गए हैं, जिनके जरिए ये जानवर बेधड़क अंदर दाखिल हो रहे हैं।
प्रशासन की लापरवाही या जल्दबाज़ी का नतीजा?
सवाल यह उठता है कि जब वाइल्ड लाइफ विभाग ने पूरी जांच के बाद सर्टिफिकेट दिया था, तो इतने सारे जानवर अंदर कैसे पहुंच गए? क्या जांच सही तरीके से की गई थी या फिर केवल हवाई निरीक्षण कर दस्तावेज़ पूरे कर दिए गए? यह लापरवाही अब एक बड़ी सुरक्षा चुनौती बन चुकी है, क्योंकि एयरपोर्ट पर उड़ानों की नियमित शुरुआत के साथ ये जानवर दुर्घटनाओं की वजह बन सकते हैं।
‘इंटरनेशनल’ टैग, लेकिन इंतजाम लोकल स्तर से भी कमजोर
जहां एक ओर प्रधानमंत्री द्वारा इसे अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा घोषित किए जाने की तैयारियां जोरों पर हैं, वहीं दूसरी ओर बुनियादी संरचना और सुरक्षा में भारी खामियां दिखाई दे रही हैं। जानवरों को परिसर से बाहर निकालना और बाउंड्री को पूरी तरह सुरक्षित करना प्रशासन के लिए अब बड़ी चुनौती है।
अधिकारियों पर उठे सवाल
इस घटनाक्रम ने वन्य जीव विभाग से लेकर हवाई अड्डा प्रबंधन तक की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या जल्दबाजी में उड़ान शुरू करने की तैयारी ने सुरक्षा मानकों की बलि ले ली है? और क्या अब भी इन मुद्दों को गंभीरता से लिया जाएगा या फिर सब कुछ राजनीतिक औपचारिकताओं में दबकर रह जाएगा?
निष्कर्ष
एक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का दर्जा पाना गौरव की बात है, लेकिन अगर जानवर विमानपथ पर विचरण कर रहे हों, तो यह गौरव खतरे में बदल सकता है। एयरपोर्ट सुरक्षा को मज़ाक न बनाएं – वरना कीमत जान और विमान, दोनों से चुकानी पड़ सकती है।
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