जैसलमेर के रेगिस्तान में मिली थी इंटरनेशनल बाइकर की लाश: हरियाणा

जैसलमेर के रेगिस्तान में मिली थी इंटरनेशनल बाइकर की लाश:एक्सीडेंट मानकर दफनाया, मां-भाई की कोशिशों से फिर खुला केस, करीबी निकले हत्यारे, पार्ट-1..

 

अगस्त 2018 में भारत-पाकिस्तान बॉर्डर के पास जैसलमेर के शाहगढ़ इलाके में रेसिंग कॉम्पीटिशन चल रहा था। 132 कार और बाइक राइडर हिस्सा ले रहे थे।

रेसिंग के दौरान राइडर को शाहगढ़ इलाके से गुजरना था, जहां कोई रास्ता भटक जाए तो वापस राह ढूंढ पाना बेहद मुश्किल था। दूर-दूर तक न कोई गांव-ढाणी थी और न ही मोबाइल नेटवर्क। थे तो बस रेत के टीले।

2 दिन बाद इन्हीं रेत के टीलों पर एक लाश मिली। लाश केरल से जैसलमेर आए बाइक राइडर असबाक मान की थी। पुलिस ने इसे एक्सीडेंट माना और शव दफना दिया।

असबाक की मां और उसके भाई को यकीन नहीं था कि ये हादसा है। लंबी लड़ाई लड़ी और बाइक एक्सीडेंट केस की फाइल दोबारा खुलवाई। पुलिस ने नए सिरे से पूरे केस को इंवेस्टिगेट किया।

जांच के दौरान असबाक की बाइक हेलमेट से पुलिस को बड़ा सुराग मिला। इस सुराग ने साबित कर दिया कि ये हादसा नहीं हत्या है।

 

पढ़िए पूरी रिपोर्ट…

केरल के असबाक को बाइक राइडिंग का शौक था। उसके पास कई तरह की बाइक्स थीं।

असबाक केरल का रहने वाला था। पिता की मौत के बाद असबाक ने बेंगलुरु की एक आईटी कंपनी में जॉब शुरू किया था। परिवार में मां, भाई और एक बहन थी।

आईटी कंपनी में जॉब के दौरान उसकी मुलाकात सुमेरा परवेज से हुई थी। दोनों के बीच दोस्ती हुई जो कुछ ही समय में प्यार में बदल गई। जुलाई 2012 में दोनों ने निकाह कर लिया।

कुछ समय बाद दोनों के एक बेटी हुई। असबाक सऊदी अरब के नूर बैंक में जॉब करने लग गया था। उसकी सैलरी 70 लाख रुपए थी।

असबाक को बाइक का काफी शौक था। बाइक रेसिंग के शौक के चलते ही वो जैसलमेर आया था।

असबाक और उसकी पत्नी सुमेरा, दोनों ने जुलाई 2012 में लव मैरिज की थी।

पांच दोस्तों के साथ आया था

अगस्त 2018 में इंडियन बाजा मोटर स्पोट्‌र्स डकार चैलेंज रैली में हिस्सा लेने के लिए वह दोस्तों के साथ जैसलमेर आया था।

असबाक और उसके दोस्त संजय, विश्वास, नीरज, शाकिब और संतोष कुलधरा रोड स्थित एक होटल में रुके। 15 अगस्त 2018 को सभी दोस्त भारत-पाकिस्तान बॉर्डर से लगते सरहद से लगते शाहगढ़ बल्ज में बाइक राइडिंग ट्रैक देखने गए।

ट्रैक देखने के बाद सभी वापस लौट आए और होटल में पार्टी की। इसके बाद असबाक और उसके दोस्त 16 अगस्त को एक बार फिर उसी इलाके में राइडिंग के लिए निकले।

असबाक बाइक राइडिंग से जुड़े कई कॉम्पीटिशन में भाग ले चुका था।

असबाक बाइक राइडिंग से जुड़े कई कॉम्पीटिशन में भाग ले चुका था।

132 बाइकर थे रैली में

उत्तरी मोटर स्‍पॉर्ट के तत्कालीन उपाध्‍यक्ष राज कपूर ने बताया कि असबाक उन 132 प्रत‍िभाग‍ियों में से एक था, जो रैली में हिस्‍सा लेने पहुंचे थे। दो द‍िन चलने वाली इस प्रत‍ियोग‍िता में बाइक और कार चालक हिस्‍सा ले रहे थे।

प्रतियोगिता में 650 क‍िलो मीटर की दूरी तय करनी थी। उन्‍होंने बताया कि यह काफी कठ‍िन प्रत‍ियोग‍िता थी। रेस जीतने वाले प्रत‍िभागी को मोरक्‍को में होने वाली रैली में ह‍िस्‍सा लेने का अवसर मिलता।

कपूर ने बताया कि असबाक बहुत बढ़िया बाइक राइडर था। उसके पास कई तरह की महंगी-महंगी बाइक थी। वो दुबई में भी बाइक रेस में हिस्सा लेता था।

आईटी कंपनी में जॉब के दौरान असबाक की मुलाकात सुमेरा परवेज से हुई थी।

 

अंधड़ के कारण बाइक राइडर भटक गए रास्ता

शाहगढ़ रेतीले टीलों का इलाका है। इस इलाके में आंधी के दौरान टीले अपनी जगह छोड़ देते हैं और कहीं ओर शिफ्ट हो जाते हैं। इस इलाके को शिफ्टिंग सेंड ड्यून्स भी कहते हैं।

अंधड़ के कारण सभी बाइकर रास्ता भटक गए। शाम तक सभी किसी तरह होटल पहुंचे, लेकिन असबाक मोन वापस नहीं लौटा। पहले उसके दोस्तों से सोचा कि असबाक थोड़ी देर में लौट आया, लेकिन देर तक वह नहीं लौटा तो सबकी चिंता बढ़ गई।

उन्होंने रात को ही सम थाने में असबाक की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। रात काफी होने के कारण थाने से आने के बाद सभी सो गए और सुबह होते ही असबाक की तलाश शुरू की।

असबाक देर तक नहीं लौटा तो सम थाने में उसकी गुमशुदगी दर्ज कराई गई।

 

दो दिन बाद मिली असबाक की लाश

पूरे दिन तलाश करने के बाद भी असबाक कहीं नहीं मिला। आखिरकार 17 अगस्त की शाम को शाहगढ़ थाना क्षेत्र में नयातला इलाके के आसपास एक शव मिलने की सूचना आई।

पुलिस मौके पर पहुंची और उसके दोस्तों से शिनाख्त कराई तो वो शव असबाक का ही था। शव के पास बाइक और हेलमेट थे। जिस जगह शव मिला, वहां मोबाइल नेटवर्क नहीं मिलता है।

 

प्यास से मौत की जताई थी आशंका

जैसलमेर शहर से करीब 200 किमी दूर और भारत-पाक बॉर्डर के शाहगढ़ को सबसे दूरस्थ और दुर्गम इलाका माना जाता है। यहां मोबाइल नेटवर्क आदि भी नहीं है।

रेगिस्तानी इलाके में यदि कोई भटक जाए तो वापस रास्ता ढूंढ़ पाना बहुत मुश्किल साबित होता है। भूख-प्यास से आदमी की मौत हो सकती है।

जब असबाक का शव मिला तो बहुत बुरी हालत में था। आशंका जताई गई कि शायद रेस के दौरान असबाक रास्ता भटक गया और फिर दो दिन भूखा-प्यासा रहने के कारण उसने दम तोड़ दिया।

लापता होने के 2 दिन बाद असबाक की लाश रेतीले धोरों में पड़ी मिली थी।

 

पोस्टमार्टम में गर्दन टूटने की बात आई सामने

18 अगस्त 2018 को सम थाना पुलिस ने असबाक का शव जिला मुख्यालय स्थित जवाहिर हॉस्पिटल की मोर्चरी में रखवाया। असबाक की पत्नी सुमेरा परवेज को इसकी सूचना दी। सुमेरा अपने पीहर वालों के साथ जैसलमेर पहुंची।

इसके बाद उनकी मौजूदगी में असबाक के शव का पोस्टमार्टम किया गया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में सामने आया कि गर्दन की हड्डी टूट गई थी। मौत के कारणों की और विस्तार से जानकारी के लिए विसरा के नमूने भी एफएसएल जांच के लिए भेजे गए।

पुलिस ने आशंका जताई कि शायद अंधड़ के कारण बाइक का संतुलन बिगड़ गया होगा। असबाक बाइक से उछलकर गर्दन के बल जमीन पर गिरा होगा, जिससे उसकी गर्दन की हड्‌डी टूट गई।

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में सामने आया कि असबाक की गर्दन की हड्डी टूट गई थी।

 

शव को जैसलमेर में ही दफनाने का निर्णय

असबाक की पत्नी सुमेरा परवेज, ससुर और दूसरे रिश्तेदार अब तक जैसलमेर पहुंच चुके थे। पुलिस ने असबाक का शव परिजनों को सौंप दिया। शव की हालत को देखते हुए घरवालों ने उसे केरल न ले जाकर जैसलमेर में ही दफनाने का फैसला किया। जैसलमेर के कब्रिस्तान में पत्नी और ससुराल वालों की मौजूदगी में असबाक का शव दफना दिया गया।

सुमेरा ने अपनी सास यानी असबाक की मां और उसके भाई को बताया कि वह शव लेकर केरल आ रही थी, लेकिन शव इतनी खराब स्थिति में था कि उन्हें जैसलमेर में ही दफनाना पड़ा। इधर, कुछ दिनों बाद पुलिस ने हादसे में मौत मानकर केस में एफआर लगा दी।

असबाक की मां और छोटा भाई अरशद, जिन्होंने सबसे पहले शक जाहिर किया था कि ये हादसा नहीं हत्या है।

 

मां और भाई ने जताया शक

असबाक को दफनाने के करीब 1 महीने बाद असबाक मोन का भाई अरशद और उसकी मां जैसलमेर आए। उन्होंने शक जताया कि असबाक की मौत की वजह हादसा नहीं है, उसकी हत्या की गई है।

जैसलमेर पुलिस ने मामले में दिलचस्पी नहीं दिखाई, क्योंकि केस में उन्होंने फाइनल रिपोर्ट लगा दी थी। ये रिपोर्ट सीनियर पुलिस अफसरों को भेज दी गई।

2 साल तक असबाक की मां और भाई केस री-ओपन कराने के लिए कोशिशें करते, लेकिन किसी अधिकारी ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। जुलाई 2020 में केस की फाइल तत्कालीन एसपी अजय सिंह के पास पहुंची।

अजय सिंह ने फाइल में मौका-ए-वारदात की ये फोटो देखी तो उनका माथा ठनका…

लाश मिलने की सूचना पर मौके पर पहुंची पुलिस ने असबाक की बाइक का ये फोटो क्लिक किया था।

मन में सवाल उठे-अगर किसी की गर्दन की हड्डी टूटी हुई हो तो वो बाइक को स्टैंड पर कैसे लगा सकता है? अपना हेलमेट बाइक पर कैसे लगा सकता है?

इन्हीं सवालों के जवाब जानने के लिए केस री-ओपन किया गया। दोबारा मामले की जांच में ये साबित हो गया कि असबाक की मौत हादसा नहीं हत्या थी। हत्यारे का खुलासा हुआ तो हर कोई दंग रह गया…

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