Khabre jara hatke: खुशबू पाठक, जिन्हें ‘माँ’ का एक अलग ही रूप दिया…. जाने पूरी कहानी रमेश भार्गव के शब्दों मे

Khabre jara hatke: खुशबू पाठक, जिन्हें ‘माँ’ का एक अलग ही रूप दिया जाता है, ने अपने जीवन को समर्पित कर दिया है 24 बच्चों की परवरिश में।

Khabre jara hatke: यह कहानी किसी भी साधारण माँ की नहीं है, बल्कि एक असाधारण महिला की है, जो बच्चों के लिए एक आश्रय, एक घर, और एक परिवार बनकर उभरी हैं।

✒️रमेश भार्गव, (स्वतंत्र पत्रकार)

खुशबू पाठक उत्तर प्रदेश की रहने वाली हैं और उन्होंने अपने जीवन का एक बड़ा हिस्सा उन बच्चों की देखभाल में समर्पित किया है, जिनके पास न तो माता-पिता का सहारा था और न ही कोई परिवार।

Khabre jara hatke
Khabre jara hatke

24 बच्चों की माँ के रूप में जानी जाने वाली खुशबू ने इन अनाथ और परित्यक्त बच्चों को न केवल अपनाया, बल्कि उन्हें एक सुरक्षित और प्यार भरा माहौल भी प्रदान किया।

इन बच्चों के साथ उनका रिश्ता केवल एक माँ का नहीं, बल्कि एक मार्गदर्शक, एक शिक्षक और एक संरक्षक का भी है।

उन्होंने सुनिश्चित किया कि इन बच्चों को न केवल बुनियादी जरूरतें पूरी हों, बल्कि वे अच्छी शिक्षा और नैतिक मूल्यों के साथ बड़े हों। उनकी देखभाल में पलने वाले बच्चे आज समाज के विभिन्न क्षेत्रों में अपना योगदान दे रहे हैं, और यह सब खुशबू के निस्वार्थ प्रेम और समर्पण का परिणाम है।

खुशबू पाठक की यह कहानी प्रेरणादायक है, जो हमें यह सिखाती है कि माँ बनना केवल जन्म देने से नहीं होता, बल्कि उन बच्चों को अपनाने और उनकी परवरिश करने से होता है, जिनके पास कोई नहीं होता। उनकी इस निस्वार्थ सेवा और प्रेम को देखकर यह कहा जा सकता है कि खुशबू ने एक नई परिभाषा दी है ‘माँ’ शब्द को।

यह महिला समाज के लिए एक मिसाल है और हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि हम कैसे अपनी छोटी-छोटी कोशिशों से दूसरों की जिंदगी में बड़ा बदलाव ला सकते हैं। खुशबू पाठक का यह योगदान उन्हें हमेशा के लिए हमारी स्मृतियों में जीवित रखेगा।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button