Petrol Diesel Rate: होली महापर्व पर प्रदेश वासियों को बड़ी सौगत
Mar 15, 2024, 08:14 IST
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Petrol Diesel Rate, पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कटौती हुई साथ ही सरकारी कर्मचारियों का महंगाई भत्ता चार फीसदी बढ़ाया जा रहा है. पहले डीए 46 प्रतिशत था जो अब बढ़ कर 50 फीसदी होने वाला है. Rajsthan Petrol Diesel Rate: बता दें कि आगामी लोकसभा चुनाव जल्द ही होने वाले है जिसको ध्यान में रखते हुए पहले ही बीजेपी की भजनलाल सरकार ने राजस्थान की जनता को बड़ा तोहफा दिया है. आपको बता दे कि राज्य में अब Petrol Diesel Rate मे बड़ी राहत मिलने वाली है. साथ ही वहीं, सरकारी कर्मचारियों का महंगाई भत्ता भी बढ़ने वाला है. खुद मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने ट्वीटर पर इसकी जानकारी देकर इसका ऐलान किया है. Petrol Diesel Rate: 2 प्रतिशत वेट घटाया दोस्तो बता दे कि राजस्थान में पेट्रोल डीजल पर 2 प्रतिशत वेट घटाया है. वैट में दो फ़ीसदी की कमी से प्रदेश में पेट्रोल 1.40 रुपये से 5.30 पैसे तक सस्ता होगा. डीजल 1.34 रुपये से 4.85 रुपये तक सस्ता होगा. शुक्रवार 15 मार्च की सुबह 6.00 बजे से नई दरें लागू होंगी. इस दो फ़ीसदी की कमी से राज्य सारका पर 1500 करोड़ का सालाना भार आएगा Petrol Diesel Rate: DA बढ़ने से क्या सरकारी कर्मचारियों को मिलेगा लाभ? राज्य कर्मचारियों का महंगाई भत्ता 4% बढ़ाया गया है. DA बढ़ने से राजस्थान के 8 लाख सरकारी कर्मचारियों को लाभ मिलेगा. 4.40 लाख पेंशनर्स को भी बढ़ाए गए महंगाई भत्ते का फायदा मिलेगा. Petrol Diesel Rate Cm bhajanlal राजस्थान मे होली से पहले ही प्रदेशवासियों को काफी बड़ा तोहफा देते हुए कहा कि हमारी सरकार ने पेट्रोल पर ₹1.40 - ₹5.30 प्रति लीटर और डीजल पर ₹1.34 से ₹4.85 प्रति लीटर की दरों में कटौती की है। BREAKING NEWS Petrol Diesel Rate कांग्रेस आपके लिए 5 ऐसी गारंटियां लेकर आई है जो आपकी सभी समस्याओं को जड़ से खत्म कर देंगी 1. MSP को स्वामीनाथन आयोग के फार्मूले के तहत कानूनी दर्ज़ा देने की गारंटी। 2. किसानों के ऋण माफ़ करने और ऋण माफ़ी की राशि निर्धारित करने के लिए एक स्थायी ‘कृषि ऋण माफ़ी आयोग’ बनाने की गारंटी। 3. बीमा योजना में परिवर्तन कर फसल का नुकसान होने पर 30 दिनों के भीतर सीधे बैंक खाते में भुगतान सुनिश्चित करने की गारंटी। 4. किसानों के हित को आगे रखते हुए एक नई आयात-निर्यात नीति बनाने की गारंटी। 5. कृषि सामग्रियों से GST हटा कर किसानों को GST मुक्त बनाने की गारंटी। देश की मिट्टी को अपने पसीने से सींचने वाले किसानों के जीवन को खुशहाल बनाना ही कांग्रेस का लक्ष्य है और यह 5 ऐतिहासिक फ़ैसले उसी दिशा में बढ़ाए गए कदम। BREAKING NEWS करनाल वि.स. सीट रिक्त घोषित, विधानसभा सचिवालय ने जारी किया नोटिफिकेशन पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल के त्यागपत्र से हुई है रिक्त, एक वर्ष से कम अवधि बावजूद उपचुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग सक्षम चंडीगढ़- आज 14 मार्च 2024 हरियाणा विधानसभा सचिवालय द्वारा जारी एक गजट नोटिफिकेशन मार्फत प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और करनाल वि.स. सीट से अब निवर्तमान विधायक मनोहर लाल द्वारा 13 मार्च को विधानसभा स्पीकर को दिए त्यागपत्र के स्वीकार होने के फलस्वरूप करनाल विधानसभा रिक्त को 13 मार्च से ही रिक्त घोषित कर दिया गया है. मंगलवार 13 मार्च को हरियाणा विधानसभा के एक दिन के विशेष सत्र में, जिसमें नव-नियुक्त मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने ध्वनिमत से सदन में विश्वास मत हासिल किया, के पश्चात निवर्तमान मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने उनके धन्यवाद संबोधन दौरान करनाल सीट से विधायक के तौर पर त्यागपत्र देने की घोषणा की थी और कहा था कि अब से प्रदेश के नए मुख्यमंत्री नायब सैनी करनाल विधानसभा सीट को संभालें. बहरहाल, मनोहर लाल को करनाल लोकसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी घोषित कर दिया गया है. बहरहाल, अब इस सबके बीच प्रदेश के राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा चल उठी है कि क्या भारतीय निर्वाचन आयोग आगामी अप्रैल-मई 2024 में निर्धारित लोकसभा आम चुनाव के साथ करनाल वि.स. सीट पर उपचुनाव करा सकता है और ऐसा तब जबकि सात माह बाद अक्टूबर,2024 में प्रदेश के अगले विधानसभा आम चुनाव ही निर्धारित हैं. इस विषय पर पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट और चुनावी कानूनों के जानकार हेमंत कुमार ने बताया कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 150 के तहत राज्य विधानसभा में मौजूदा विधायक की मृत्यु, त्यागपत्र एवं उनका निर्वाचन रद्द होने अथवा उसके अयोग्य घोषित होने के कारण आदि कारणों से रिक्त हुई सीट पर भारतीय चुनाव आयोग द्वारा उपचुनाव करवाया जाता है. धारा 151 ए के अनुसार ऐसा उपचुनाव करवाने की समय सीमा रिक्त घोषित की गयी विधानसभा सीट के छः माह के भीतर होती है. हालांकि अगर रिक्त हुई विधानसभा सीट की शेष अवधि एक वर्ष से कम हो, तो उपचुनाव नहीं कराया जाता है. 4 नवंबर 2019 को प्रदेश की मौजूदा 14 वी विधानसभा का पहला अधिवेशन ( सत्र) बुलाया गया था एवं भारत के संविधान के अनुच्छेद 172 अनुसार इसका कार्यकाल 3 नवंबर 2024 तक है, इसलिए आज की तारीख में वर्तमान हरियाणा विधानसभा में किसी भी रिक्त सीट की अवधि आठ माह से भी कम होगी एवं इस कारण लोक प्रतिनिधित्व कानून, 1951 की धारा 151(ए) के अंतर्गत किसी रिक्त सीट पर चुनाव आयोग द्वारा उपचुनाव नहीं कराया जा सकता है. गत 12 मार्च को प्रदेश की कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट से सांसद नायब सिंह सैनी हरियाणा के मुख्यमंत्री बने हैं एवं वह प्रदेश विधानसभा के सदस्य अर्थात विधायक नहीं है, इसलिए वह बगैर विधायक बने अधिकतम 6 महीने तक अर्थात आगामी 11 सितम्बर 2024 तक ही मुख्यमंत्री के पद पर रह सकते हैं. भारत देश के संविधान के अनुच्छेद 164(4) का हवाला देते हुए उन्होंने बताया कि उसमें स्पष्ट उल्लेख है कि कोई मुख्यमंत्री जो निरंतर 6 माह की किसी अवधि तक राज्य के विधानमंडल का सदस्य नहीं है, उस अवधि की समाप्ति पर मुख्यमंत्री नहीं रहेगा. Also Read: CIA कालांवाली द्वारा नशा तस्करों के खिलाफ कार्यवाही इसी बीच उपरोक्त का एक तोड़ बताते हुए हेमंत ने बताया कि अगर विधानसभा के कार्यकाल के अंतिम वर्ष की अवधि दौरान किसी ऐसे गैर-विधायक व्यक्ति को प्रदेश का मुख्यमंत्री नियुक्त किया जाता है, जैसे नायब सैनी को हरियाणा का मुख्यमंत्री बनाया गया है, तो उस परिस्थिति में रिक्त हुई किसी विधानसभा सीट पर चुनाव आयोग द्वारा उपचुनाव कराया जा सकता है बेशक उस रिक्त सीट की अवधि एक वर्ष से कम हो. चूँकि पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने करनाल वि.स. सीट से त्यागपत्र दे दिया है और अब वह करनाल से सांसद का चुनाव लड़ेंगे, इसलिए प्रदेश के गैर-विधायक मुख्यमंत्री नायब सैनी को हरियाणा विधानसभा का सदस्य बनने के लिए चुनाव आयोग एक मौका देकर करनाल वि.स. सीट पर उपचुनाव करा सकता है. भारतीय चुनाव आयोग के आधिकारिक रिकॉर्ड से जानकारी प्राप्त कर बताया कि हरियाणा में वर्ष 1986 में भी ऐसा हुआ था जब हरियाणा में तत्कालीन मुख्यमंत्री भजन लाल को बदल कर लोकसभा सांसद बंसी लाल को मुख्यमंत्री बनाया गया था एवं तत्कालीन हरियाणा विधानसभा की एक वर्ष से कम अवधि शेष होने बावजूद भिवानी जिले की तोशाम विधानसभा सीट पर उपचुनाव कराया गया था जिसमें बंसी लाल रिकॉर्ड मार्जिन से निर्वाचित होकर विधायक बने थे.उस अल्प-अवधि उपचुनाव को हालांकि दिल्ली हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती दी गयी परन्तु दोनों शीर्ष अदालतों ने उसमें हस्तक्षेप नहीं किया था. इसी प्रकार वर्ष 1999 में ओडिशा के तत्कालीन मुख्यमंत्री और लोकसभा सांसद गिरिधर गमांग के लिए भी अल्प-अवधि के लिए विधानसभा उपचुनाव कराया गया था जिसे जीतकर वह विधायक बने थे.