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Salasar Balaji: 270 साल पहले सालासर में विराजे दाढ़ी-मूंछ वाले बालाजी, जानें मंदिर का रोचक इतिहास

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Salasar Balaji: 270 साल पहले सालासर में विराजे दाढ़ी-मूंछ वाले बालाजी, जानें मंदिर का रोचक इतिहास

Salasar Balaji: दाढ़ी मूंछ वाले हनुमानजी का इकलौता मंदिर सालासर में है।

Salasar Balaji: आज 14 अगस्‍त 2024 को सालासर बालाजी का 270वां स्‍थापना दिवस है। इस मौके पर देशभर से बड़ी संख्‍या में श्रद्धालु पहुंचे हैं। सालासर बालाजी के स्‍थापना दिवस पर मंदिर परिसर को फूलों से आकर्षक ढंग से सजाया गया है। रंग-बिरंगी लाइटिंग की गई। पूरा सालासर बालाजी धाम दूधिया रोशनी से जगमगा उठा।

Salasar Balaji Sthapna Diwas

मीडिया से बातचीत में हनुमान सेवा समिति के अध्‍यक्ष यशोदानंदन पुजारी ने बताया कि सालाधर बालाजी धाम की कहानी नागौर जिले के गांव आसोटा व सीकर जिले के गांव रूल्‍याणी से जुड़ी है। मोहनदास की बहन कान्‍ही का विवाह सालासर में हुआ था। बेटे उदय के जन्‍म के बाद कान्‍ही विधवा हो गई थीं। ऐसे में बहन व भांजे को सहारा देने के लिए मोहनदास भी सालासर में रहने लगे थे। मोहनदास सालासर में बालाजी की भक्ति में लीन हो गए थे। धुणा रमा लिया था। उधर, नागौर के गांव आसोटा में किसान अपना खेत जोत रहा था। तभी हल का नीचला हिस्‍सा किसी वस्‍तु से टकराया। खोदकर देखा तो वहां राम-लक्ष्मण को कंधे पर लिए वीर हनुमान की दिव्य झांकी के दर्शन की मूर्ति निकली।

Salasar Balaji Sthapna Diwas

खेत में मूर्ति और उसके चमत्‍कार की खबर आस-पास के गांवों में फैल गई। आसोटा के ठाकुर चंपावत भी देखने आए और उस मूर्ति को अपने साथ हवेली पर ले गए। उसी रात ठाकुर को बालाजी ने सपने में दर्शन दिए और उस मूर्ति को सालासर पहुंचाने की आज्ञा दी। सुबह ठाकुर चंपावत ने अपने कर्मचारियों की सुरक्षा में भजन मंडली के साथ सजी-धजी बैलगाड़ी में मूर्ति को सालासार की ओर विदा कर दिया। सन 1754 में शुक्ल नवमी को शनिवार के दिन पूर्ण विधि-विधान से हनुमान जी की मूर्ति की स्थापना की गई। Rajasthan: वसुंधरा राजे ने सालासर बालाजी में दर्शन कर पूजा अर्चना की, ट्वीट कर दी जानकारी
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