New Highway : Rajasthan और Gujrat के कई जिलों की तस्वीर बदलने वाली है। Gujrat-Rajasthan के बीच 2 लेन के हाइवे का निर्माण हो रहा है। इस हाइवे की सबसे अनोखी बात ये है कि यह जमीन पर नहीं बल्कि हवा में बनाया जा रहा है। इस हाइवे के निर्माण के बाद दोनों States के कई जिलों को बहुत फायदा होने वाला है। Rajasthan के बाखासर से गुजरात के मवासरी तक 1971 युद्ध से पहले यहां सड़क बनाई गई थी। लेकिन खारे पानी की झील में सड़क डूब गई। Rajasthan और गुजरात के कच्छ के रन को जोड़ने के लिए भारत-पाक बॉर्डर पर 2 लेन हाइवे का निर्माण किया जा रहा है। यह हाइवे बाखासर से शुरु होकर गुजरात के मावसरी तक जाएगा। 32 KM लंबे इस हाइवे का निर्माण जमीन की बजाय हवा में किया जा रहा है। यह हाइवे छोटे-मोटे 33 पुलों पर बनाया जाएगा।
दोनों राज्यों के लाखों लोगों को होगा फायदा
इस हाइवे के निर्माण से लाखों लोगों को फायदा होने वाला है। Rajasthan के बाड़मेर जालौर और गुजरात के बनासकांठा जिले के लोगों को इस हाइवे का सबसे ज्यादा फायदा होगा। वर्तमान में बाखासर से मवासरी तक जाने के लिए कोई सीधा रास्ता नहीं है। यहां तक पहुंचने में पहले बाखासर से गांधव और सांचौर होकर मवासरी का सफर करना पड़ता था। यह सफर ज्यादा घूमने की वजह से 150 KM का हो जाता है।
सफर की दूरी घटेगी
हाइवे बनने के बाद 150 KM की बजाय 32 KM का सफर रह जाएगा। अब बाखासर से मवासरी जाने के लिए 4 घंटे लगते हैं लेकिन हाइवे बनने के बाद यह सफर सिर्फ आधे घंटे में तय हो जाएगा।
समुद्री खारा पानी बड़ी दिक्कत
भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत रक्षा मंत्रालय और सड़क एवं परिवहन मंत्रालय ने बॉर्डर तारबंदी के निकट बाखासर से जम्मू-कश्मीर तक एक राजमार्ग बनाया है। लेकिन हाइवे बाखासर से गुजरात की सीमा तक नहीं बन पाया। इसका कारण यह था कि सड़क का लगभग 24 किमी. भाग समुद्री खारे पानी के भराव क्षेत्र में आता है। बारिश के समय यह क्षेत्र पानी से भर जाता है। यहां सड़क जमीन पर टिकना बहुत मुश्किल था। अब सीमा सड़क संगठन को 32 KM का हिस्सा बनाना होगा।
कच्छ का रण मतलब पूरा पानी
बारिश की वजह से कच्छ का रण पानी से भर जाता है। यहां पर लुणी नदी का बहाव ज्यादा है। अजमेर की पहाड़ियों से निकलने वाली लुणी नदी सिर्फ कच्छ के रण में आकर विलीन होती है। पानी और दलदल को देखते हुए बीआरओ ने यहां हाइवे को हवा में बनाने का निर्णय लिया गया हैं। छोटे-बड़े पुलों का निर्माण केवल कच्छ रण के बहाव और पानी वाले 15 KM क्षेत्र में हो रहा है। इन पुलों का निर्माण सड़क बनाने से अधिक होगा। लेकिन बरसात के दौरान पानी भरने पर भी यह सड़क को बाधित नहीं करेगा, जो उनका लाभ होगा।