UGC-NET Exam Case: यूजीसी नीट परीक्षा में हुई पांच सबसे बड़ी गडबडी.. कुछ खास लोगों को मिला बड़ा फायदा?

UGC-NET Exam Case: जानिये अखिर कौनसी हुई बड़ी गडबडी!

 

मेडिकल में दाखिले के लिए हुई नीट-यूजी की परीक्षा में कई तरह की गड़बड़ियां हुई हैं। पहली गड़बड़ी आवेदन की तारीख बीत जाने के कई दिनों के बाद फिर से आवेदन का विंडो खोलना और उस दिन करीब 24 हजार छात्रों का आवेदन करना। माना जा रहा है कुछ खास लोगों को इसका फायदा मिला।

 

UGC-NET Exam Case: दूसरी गड़बड़ी प्रश्नपत्र लीक होने की है।

 

तीसरी गड़बड़ी परीक्षा में नकल या चोरी कराने की है। चौथी गड़बड़ी परीक्षा के बाद आंसर शीट भरे जाने की है।

 

UGC-NET Exam Case: पांचवीं गड़बड़ी ग्रेस मार्क्स की थी, जिसे नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने ठीक किया है। इसके अलावा भी कुछ गड़बड़ियां हैं। अब सवाल है कि इन सबको पीछे कौन है?

 

क्या कोई एक व्यक्ति या एक गिरोह है, जिसने भारी भरकम फीस के बदले इन गड़बड़ियों को अंजाम दिया या अलग अलग राज्यों में अलग अलग गिरोह काम कर रहे हैं?

 

यह सवाल इसलिए उठा है क्योंकि महाराष्ट्र के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने दावा किया है कि प्रश्नपत्र लीक करने वाला कोई मराठी व्यक्ति है। उन्होंने सरकार बनने पर इसकी जांच कराने का वादा किया है।

 

लेकिन क्या सचमुच किसी मराठी व्यक्ति ने पेपर लीक कराया या इसके पीछे किसी गुजराती गिरोह या बिहारी गिरोह का हाथ है? चाहे जिस भी राज्य का व्यक्ति हो लेकिन इतना तय है कि पेपर लीक करने या परीक्षा में नकल, चोरी कराने या परीक्षा के बाद में आंसर शीट भरने का कारनामा करने वालों के पीछे किसी बहुत बड़े व्यक्ति का हाथ है।

 

UGC-NET Exam Case: इसका कारण यह है कि अब तक जो लोग भी पकड़े जा रहे हैं या गुजरात और बिहार में जिन लोगों को गिरफ्तार करके जांच की जा रही है वे सभी लोग बिचौलिए प्रतीत हो रहे हैं। गुजरात से पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इसमें एक पुरुषोत्तम शर्मा है, जो स्कूल के प्रिंसिपल हैं।

 

उनके अलावा वडोदरा के शिक्षा सलाहकार परशुराम राय, उनके सहयोगी विभोर आनंद और बिचौलिया आरिफ वोहरा शामिल है। पांचवां व्यक्ति तुषार भट्ट है। पुलिस की जांच में इनमें से कोई ऐसा नहीं लग रहा है, जिसने पेपर लीक किया हो। ये पैसे लेकर छात्रों की मदद कर रहे थे।

 

UGC-NET Exam Case: असली सवाल है कि बिचौलिए को पेपर किसने उपलब्ध कराया, जिसे वह आगे 50 लाख या 60 लाख रुपए में बेच रहा था? बिहार में कुल 14 लोग गिरफ्तार हुए हैं। इनमें मुख्य रूप से सिकंदर प्रसाद यादवेंदु और संजीव मुखिया का नाम आ रहा है।

 

नया नाम रवि अत्री गिरोह का आया है, जिसके कुछ सदस्य झारखंड के देवघर से गिरफ्तार हुए हैं। इनके अलावा अमित आनंद का नाम चर्चा में है। लेकिन चाहे यादवेंदु या संजीव मुखिया इनकी हैसियत बिचौलिए वाली ही है।

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UGC-NET Exam Case: इनमें से ज्यादातर लोग ऐसे हैं, जिनके बारे में कहा जा रहा है कि 30 लाख में पेपर खरीदा और 40 या 50 लाख में बेच रहे थे। इन्होंने छात्रों को प्रश्नों के जवाब रटवाने या दूसरी व्यवस्था करने के पैसे लिए हैं।

 

असली किंगपिन की पता नहीं चल रहा है, जिसने पेपर लीक किया। अभी तक यह भी पता नहीं है कि पेपर कहीं एक जगह से लीक होकर इस रैकेट में शामिल अंतरराज्यीय गिरोहों के पास पहुंचा या हर राज्य में स्वतंत्र रूप से पेपर लीक हुआ?

 

इसकी बहुत गंभीर और विस्तृत जांच की जरुरत है और स्थायी रूप से लीकेज रोकने की जरुरत है ताकि दूसरी परीक्षाओं में इस तरह की घटनाएं नहीं हों।

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