CDLU गुमनाम पत्र: प्रोफेसर 530 छात्राओं से छेड़छाड़ मामले में गुमनाम पत्र का हुआ पर्दाफाश, बदनाम करने की नीयत से अनुबंधित प्राध्यापक ने भेजा था पत्र ?
CDLU गुमनाम पत्र: जब गुमनाम पत्र वायरल हुआ तो ASP दीप्ती गर्ग को सौंपी गई थी जांच जिम्मेदारी
CDLU गुमनाम पत्र: चौधरी देवीलाल विश्वविद्यालय से आई बड़ी खबर। जैसा की आप काफी समय से एक गुमनाम पत्र वाला मामला काफी समय से सुनते आ रहे थे जिसका अब पर्दाफास हो चुका है । हाल ही मे आरटीआई रिपोर्ट भी सामने आ चुकी है और इसका खुलासा भी हो चुका है। USGS (यूनिवर्सिटी स्कूल फार ग्रेजुएट स्टडी) विभाग के प्रोफेसर पर 530 छात्राओं से छेड़छाड़ मामले में गुमनाम पत्र का पर्दाफाश हो गया है।
एएसपी सिरसा दीप्ति गर्ग की जांच रिपोर्ट में पता चला है कि यह गुमनाम पत्र यूएसजीएस के ही अनुबंधित प्राध्यापक राममेहर आर्य ने भेजा था। उसने प्रोफेसर और दूसरे अनुबंधित प्राध्यापक को बदनाम करने की नीयत से भेजा था। एएसपी ने इस जांच रिपोर्ट के आधार पर ही अनुबंधित प्राध्यापक के खिलाफ धारा 182 के तहत झूठी शिकायत देने पर कारवाई की अनुशसा की है।
CDLU गुमनाम पत्र: वहीं सीडीएलयू को आरटीआई से यह जांच रिपोर्ट मिली है। अब विश्वविद्यालय अनुबंधित प्राध्यापक पर कार्रवाई लेने के लिए कानूनी सलाह ले रही है।
दो जनवरी 2024 को सीडीएलयू के कैंपस स्थित यूनिवर्सिटी स्कूल फार ग्रेजुएट स्टडी के प्रोफेसर के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, पंजाब और हरियाणा के मुख्य न्यायधीश, मानवाधिकार आयोग और राज्यपाल सहित नौ जगहों पर एक पत्र भेजा गया। इस पत्र के बाहर अनु कुमारी लिखा था। साथ ही मोबाइल नंबर भी।
पत्र में छात्राओं के हवाले से लिखा कि युएसजीएस में 530 छात्राएं पढ़ती है और एक प्रोफेसर उनसे अश्लील हरकतें करता है। उसके इस काम में एक अन्य प्रोफेसर सहयोग करता है। युएसजीएस में लगे सीसीटीवी कैमरे से फुटेज डिलीट कर दी गई है। साथ ही यह पत्र कुछ मीडिया संस्थाओं को भी वायरल किया गया। सरकार ने तुरंत एसपी सिरसा से जवाब मांगा।
CDLU गुमनाम पत्र: सीडीएलयू में 11 बजकर एक मिनट पर बाइक दाखिल हुई
जब cdlu की जांच कमेटी ने शहर में उसी रोड पर लगे अन्य कैमरों का रिकार्ड चेक किया तब 11 बजकर 1 मिनट पर राममेहर आर्य का मोटरसाइकिल विश्वविद्यालय में दाखिल हुआ। सिक्योरिटी इंचार्ज हिम्मत सिंह ने सीसीटीवी फुटेज में यह प्रोफेसर राममेहर के रूप में शिनाख्त की। इसके बाद उन्हें डाकघर के बाहर की सीसीटीवी दिखाई गई। तब उसने कहा कि यह राममेहर ही लग रहा है।
इसके बाद जांच कमेटी ने राममेहर आर्य से पूछताछ की और पुच की वह दो जनवरी को डाकघर में पहुचें थे। तब पूछताछ पर प्राध्यापक ने इंकार कर दिया। लेकिन सिक्योरिटी इंचार्ज हिम्मत सिंह के लिखित में देने और जांच कमेटी के प्रश्नों के उत्तर और सीसीटीवी कैमरों के अवलोकन के आधार पर यह गुमनाम पत्र अनुबंधित प्रोफेसर राममेहर के रजिस्ट्री करवाने की पुष्टि होती है।
जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि इस गुमनाम पत्र की वजह से सीडीएलयू की छवि धूमिल हुई है। इसलिए प्रोफेसर राममेहर के विरुद्ध झूठा पत्र देने के संबंध में धारा 182 के तहत अपराध बनता है। थाना सिविल लाइन सिरसा को कार्रवाई के लिए रिपोर्ट प्रेषित की गई है।
CDLU गुमनाम पत्र: सीसीटीवी से आया पकड़ में
सिरसा पुलिस ने अपनी एक जांच रिपोर्ट में लिखा कि गुमनाम पत्र की जांच के लिए पत्र के बार कोड के आधार पर नेशनल कालेज के बाहर खैरपुर डाकघर में जाकर रजिस्टर्ड पत्रों का रिकार्ड लिया गया। सब पोस्ट मास्टर तरूणा के लिखित बयान दर्ज किए गए। यह पत्र सुबह 10 बजकर 55 मिनट पर डाकघर से रजिस्ट्री किया। साइबर टीम ने डाकखाने के बाहर लगे सीसीटीवी फुटेज को चेक किया।
इस घटना के बाद प्राध्यापक ने अपने बयान देते हुवे कहा की मुझे फंसाने की साजिश है। यह जांच रिपोर्ट अचानक कैसे आ गई। मेरा इस गुमनाम पत्र का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रुप से कोई लेना देना नहीं है। राममेहर आर्य, अनुबंधित प्राध्यापक, सीडीएलयू
आरटीआइ में गुमनाम पत्र मामले की जांच रिपोर्ट आ चुकी है। अनुबंधित प्राध्यापक राममेहर आर्य का नाम सामने आया है। इस मामले पर कानूनी सलाह ली जा रही है। राजेश बंसल,
रजिस्ट्रार, सीडीएलयू सिरसा