Indian Penal Code:- 1 जुलाई 2024 से लागू होंगे 3 नए आपराधिक कानून.... केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने जारी की अधिसूचनाएं
Feb 24, 2024, 16:00 IST
| (Indian Penal Code) अंग्रेजों के जमाने की IPC नहीं, अब भारतीय न्याय संहिता (Indian Penal Code) चंडीगढ़ - केन्द्रीय गृह मंत्रालय द्वारा भारत सरकार के राजपत्र (गजट) में प्रकाशित तीन अलग-अलग नोटिफिकेशंस मार्फ़त दिसम्बर,2023 में देश की संसद द्वारा अधिनियमित तीन नए आपराधिक कानून नामत: भारतीय न्याय संहिता, 2023 भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 को सम्पूर्ण देश में लागू करने की तारिख निर्धारित कर दी गयी है. पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार (9416887788) ने उपरोक्त तीनो गजट नोटिफिकेशन का अवलोकन करने के बाद बताया कि उपरोक्त तीनो कानून आज से करीब चार माह बाद अर्थात 1 जुलाई 2024 से पूरे देश में लागू हो जायेंगे हालांकि भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 106(2), जो किसी वाहन चालक (जैसे ट्रक ड्राइवर आदि ) की लापरवाही से सड़क पर किसी की मृत्यु होने से सम्बंधित है, उसे फिलहाल लागू नहीं किया जाएगा.(Indian Penal Code) हेमंत ने बताया कि उक्त तीनों कानूनों के लागू होने से भारतीय न्याय संहिता, 2023 करीब 164 वर्ष पूर्व से लागू भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code)1860 का स्थान लेगी जबकि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 आज से 51 वर्ष पूर्व लागू दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी), 1973 का स्थान लेगी वहीं भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 आज से 152 वर्ष पूर्व से लागू एविडेंस एक्ट, 1872 का स्थान लेगा. 1 जुलाई 2024 से तीन नए आपराधिक कानून लागू होंगे। इनमें भारतीय न्याय संहिता, 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 शामिल हैं। इन कानूनों का लागू होना देशव्यापी होगा और इससे कई पुराने कानूनों को बदला जाएगा। आपके द्वारा साझा की गई जानकारी के अनुसार, इन नए कानूनों में आई.पी.सी., सी.आर.पी.सी., और एविडेंस एक्ट का स्थान लेने का निर्णय लिया गया है। इससे नए कानूनों में बदलाव होगा और यह नए समय के मुताबिक होगा। इन नए कानूनों के लागू होने से पहले, एडवोकेट हेमंत कुमार ने गजट नोटिफिकेशंस का अवलोकन करते हुए बताया कि ये परिवर्तन कई पुराने कानूनों को समर्थन और अनुकूलन की दिशा में किए गए हैं। इससे सामाजिक और न्यायिक स्फीतियों में सुधार होने की उम्मीद है। भारतीय न्याय संहिता, 2023 ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) 1860 का स्थान लिया है, जिससे यह साफ हो गया है कि समय के साथ बदलते परिस्थितियों को ध्यान में रखकर कदम बढ़ाया गया है। इससे न्यायिक प्रक्रिया में सुधार होने की संभावना है और नागरिकों को अधिक सुरक्षा और न्याय मिलने की उम्मीद है। इसी तरह, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 ने दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी), 1973 का स्थान लिया है, जिससे नए और समय के मुताबिक उपाय किए जा सकेंगे। यह सुनिश्चित करेगा कि अपराधिक अधिकारी और न्यायिक प्रक्रिया में अधिक सहयोग हो, जिससे अपराधों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो सके। इसी बीच, भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 ने एविडेंस एक्ट, 1872 का स्थान लिया है, जिससे साक्ष्य प्राप्त करने और प्रस्तुत करने की प्रक्रिया में सुधार हो सकता है। यह सुनिश्चित करेगा कि न्यायिक प्रक्रिया में विश्वासी साक्ष्य उपलब्ध हो, जिससे सजाएं सही और न्यायिक रूप से हो सकें। इन सभी परिवर्तनों से सामाजिक न्याय और सुरक्षा में सुधार होने की उम्मीद है, जो भविष्य में न्यायिक प्रक्रिया में सुधार करेंगे और नागरिकों को अधिक सुरक्षा प्रदान करेंगे। 1 जुलाई से तीन नए क्रिमिनल लॉ भारत में लागू होंगे। इसमें एक बड़ा बदलाव है कि इनमें अब अंग्रेजों के जमाने की आईपीसी (IPC) की जगह भारतीय न्याय संहिता को ही महत्वपूर्ण स्थान मिलेगा। इसके अलावा, धोखेबाजी के मामले में धारा 420 की बजाय अब धारा 316 का उपयोग होगा। यह नए कानूनी परिवर्तन भ्रांतिकर अभ्यंतरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई को सुनिश्चित करने की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं। यह नए क्रिमिनल लॉ कानूनी प्रक्रिया में सुधार करेंगे और न्यायिक प्रक्रिया में सही दिशा में कदम बढ़ाएंगे। इससे न्यायिक प्रणाली में विश्वास बढ़ेगा और अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा सकेगी। यह सुनिश्चित करेगा कि भ्रांतिकर अभ्यंतरों के खिलाफ सजा मिले और समाज में विश्वास बना रहे। नए नियमों के अनुसार, अब धोखेबाजी के मामले में अधिक सजाएं होंगी और लोगों को जल्दी न्याय मिलेगा। Indian Penal Code भारतीय न्याय संहिता में क्या बड़े बदलाव हुए.. भारतीय न्याय संहिता (BNS) में 20 नए अपराध जोड़े गए हैं। ऑर्गेनाइज्ड क्राइम, हिट एंड रन, मॉब लिंचिंग पर सजा का प्रावधान। डॉक्यूमेंट में इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल रिकॉर्ड शामिल हैं। IPC में मौजूद 19 प्रावधानों को हटा दिया गया है। 33 अपराधों में कारावास की सजा बढ़ा दी गई है। 83 अपराधों में जुर्माने की सजा बढ़ा दी गई है। छह अपराधों में सामुदायिक सेवा की सजा का प्रावधान किया गया है।