Haryana Railway: हरियाणा के इन जिलों में बिछाई जाएगी नई रेल लाइन, जमीनों की कीमतों में आएगा तगड़ा उछाल
Haryana Railway: हरियाणा और यूपी को जोड़ने वाले ईस्टर्न ऑर्बिटल रेल कॉरिडोर को लेकर एक बड़ा अपडेट सामने आया है। उत्तर प्रदेश और हरियाणा के औद्योगिक क्षेत्रों को जोड़ने और माल परिवहन व्यवस्था को सुगम बनाने के लिए इस रेल कॉरिडोर के निर्माण की प्रक्रिया तेज हो गई है।
इस रेल कॉरिडोर के बनने के बाद हरियाणा ही नहीं बल्कि यूपी और दिल्ली वासियों को भी बड़ा फायदा मिलेगा। साथ ही जमीनों के रेट में भी तगड़ा उछाल आएगा।
जानें रेल कॉरिडोर की खासियत
जीडीए सचिव राजेश कुमार सिंह के अनुसार, यह परियोजना 2030 तक पूरी हो सकती है। इस रेल कॉरिडोर की कुल लंबाई 135 किलोमीटर होगी और करोड़ो की लागत से इसे तैयार किया जाएगा। अनुमान है कि इस कॉरिडोर का 90 किलोमीटर हिस्सा उत्तर प्रदेश में जबकि शेष 45 किलोमीटर हरियाणा में पड़ेगा।
उत्तर प्रदेश सरकार और गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (GDA) ने इस परियोजना के लिए 1.77 करोड़ रुपये हरियाणा रेल इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (HRIDC) को सौंपी है। यह धनराशि फिजिबिलिटी स्टडी के लिए जारी की गई है। जिसके आधार पर परियोजना के अगले चरणों पर काम शुरू होगा।
इन शहरों से जुड़ेगा रेल कॉरिडोर
यह रेल कॉरिडोर उत्तर प्रदेश के बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर से हरियाणा के सोनीपत, फरीदाबाद, पलवल को जोड़ते हुए नोएडा, ग्रेटर नोएडा और मसूरी जैसे प्रमुख स्थानों से होकर गुजरेगा। इसके निर्माण के बाद मालवाहक ट्रेनों को दिल्ली-एनसीआर के अंदर आने की आवश्यकता नहीं होगी। ऐसे ट्रेनों का समय भी बचेगा और माल परिवहन की लागत कम होगी।
औद्योगिक विकास को मिलेगी नई दिशा
ईस्टर्न ऑर्बिटल रेल कॉरिडोर औद्योगिक क्षेत्रों के लिए मील का पत्थर साबित होगा। यह परियोजना नोएडा और ग्रेटर नोएडा जैसे प्रमुख औद्योगिक केंद्रों को जोड़ते हुए औद्योगिक विकास को गति प्रदान करेगी। कॉरिडोर के जरिए मालगाड़ियों का संचालन सुगम होगा, जिससे कंपनियों की लॉजिस्टिक्स लागत कम होगी।
प्रदूषण और ट्रैफिक से मिलेगी राहत
दिल्ली-एनसीआर में वाहनों की बढ़ती संख्या और ट्रैफिक जाम की समस्या को देखते हुए यह परियोजना बेहद आवश्यक है। मालवाहक ट्रेनों के दिल्ली-एनसीआर के बाहर से गुजरने से ट्रैफिक जाम में कमी आएगी। साथ ही, माल परिवहन के लिए ट्रेनों का उपयोग बढ़ने से सड़क परिवहन पर दबाव कम होगा, जिससे प्रदूषण भी घटेगा।