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Haryana News: हरियाणा के इन 2 शहरों के बीच चलेगी देश की पहली हाइड्रोजन ट्रेन, लोगों को होगा बड़ा फ़ायदा, जानें सबकुछ

   भारतीय रेलवे ने 2030 तक जीरो कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य निर्धारित किया है, और इसके लिए कई ठोस कदम उठाए जा रहे हैं।
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हरियाणा के इन 2 शहरों के बीच चलेगी देश की पहली हाइड्रोजन ट्रेन
  भारतीय रेलवे ने 2030 तक जीरो कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य निर्धारित किया है, और इसके लिए कई ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। इसी दिशा में, देश की पहली हाइड्रोजन ट्रेन एक महत्वपूर्ण पहल है। यह ट्रेन 2025 से परिचालन में आएगी और हरियाणा में सोनीपत-जींद सेक्शन पर चलेगी।

इस ट्रेन की अधिकतम गति 140 किमी प्रति घंटा होगी। हाइड्रोजन ट्रेनें डीज़ल इंजन का पर्यावरण-अनुकूल विकल्प हैं, जो न केवल कार्बन उत्सर्जन को कम करेंगी बल्कि ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों के उपयोग को भी बढ़ावा देंगी।

भारतीय रेलवे का 2030 तक नेट-जीरो कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य देश को सतत विकास की दिशा में अग्रसर करने का एक बड़ा कदम है। इसके तहत रेलवे कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं पर काम कर रहा है:

1. हाइड्रोजन ट्रेनें:

हरियाणा में शुरुआत: सोनीपत-जींद सेक्शन पर पहली हाइड्रोजन ट्रेन का ट्रायल होगा।

लाभ:

पारंपरिक डीजल ट्रेनों की जगह लेकर ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी लाएंगी।

पानी और हाइड्रोजन का उपयोग करते हुए केवल जलवाष्प का उत्सर्जन करेंगी।

2. रेलवे विद्युतीकरण:

रेलवे ने अपने नेटवर्क का 100% विद्युतीकरण करने का लक्ष्य रखा है।

वर्तमान में लगभग 85% नेटवर्क विद्युतीकरण हो चुका है।

स्वच्छ ऊर्जा के लिए सौर और पवन ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना की जा रही है।


3. सौर ऊर्जा का उपयोग:

रेलवे स्टेशनों, ट्रैक और डिपो में सौर पैनल लगाए जा रहे हैं।

कई स्टेशन पहले से ही नेट-जीरो एनर्जी स्टेशन बन चुके हैं।


4. कचरे का प्रबंधन:

स्टेशनों पर कचरा प्रबंधन और रिसाइक्लिंग इकाइयाँ स्थापित की जा रही हैं।

बायोडिग्रेडेबल और नॉन-बायोडिग्रेडेबल कचरे को अलग करने की व्यवस्था हो रही है।


5. हरित कोरिडोर (Green Corridors):

कुछ रेल मार्गों को पूरी तरह पर्यावरण-अनुकूल बनाया जा रहा है।

इनमें ट्रेनें पूरी तरह बिजली या हाइड्रोजन आधारित होंगी।


6. पारिस्थितिक संतुलन:

रेलवे के किनारे बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण किया जा रहा है।

बायो-टॉयलेट्स की संख्या बढ़ाई जा रही है।


हाइड्रोजन ट्रेन का महत्व:

हाइड्रोजन ट्रेनें उन मार्गों पर चलेंगी, जहाँ विद्युतीकरण मुश्किल है। ये ट्रेनें भारतीय रेलवे को विश्व की पहली नेट-जीरो कार्बन उत्सर्जन रेलवे बनाने में मदद करेंगी।

 

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